Satna Vidhan Sabha Seat : रोज नए समीकरण, कहीं सीधा मुकाबला तो कहीं त्रिकोणीय मुकाबला

सतना और पन्ना क्षेत्र में गुलाबी ठंड के बीच विधानसभा चुनाव की गर्माहट बढ़ती जा रही है। इन जगहों पर चुनाव के समीकरण रोज बदल रहे हैं।;

Update: 2023-11-09 05:29 GMT

Satna Vidhan Sabha Seat : सतना और पन्ना क्षेत्र में गुलाबी ठंड के बीच विधानसभा चुनाव की गर्माहट बढ़ती जा रही है। इन जगहों पर चुनाव के समीकरण रोज बदल रहे हैं। कहीं सीधी टक्कर है तो कहीं पर त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा हैं। सतना विधानसभा और मैहर विधानसभा क्षेत्र हॉट सीट के रूप में माने जा रहे हैं। वहीं पन्ना जिले में पन्ना विधानसभा क्षेत्र और पवई विधानसभा क्षेत्र में भी जबरदस्त कांटे की टक्कर बताई जा रही है।

12,558 वोट से जीतकर कांग्रेस की वापसी की है

सतना सीट अभी कांग्रेस के कब्जे में है। कांग्रेस कब्जा बरकरार रखने और भाजपा अपना गढ़ छीनने के प्रयास में है। भाजपा ने सांसद गणेश सिंह को मैदान में उतारा है और कांग्रेस ने विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को फिर से टिकट दिया है। वहीं भाजपा से बगावत करके युवा नेता रत्नाकर चतुर्वेदी शिवा बसपा से मैदान में हैं। सीमेंट हब के नाम से देश दुनिया में जाना जाने वाले सतना विधानसभा सीट कभी कांग्रेस का अभेद किला रहा है, कांग्रेस की पकड़ ढीली होते ही सतना सीट भाजपा के गढ़ में तब्दील हो गई। सतना सीट लगातार पिछले तीन चुनाव से भाजपा की झोली में थी, लेकिन पिछला चुनाव कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा ने भाजपा के शंकरलाल तिवारी को 12,558 वोट से जीतकर कांग्रेस की वापसी की है।

सतना में तीन बार से भाजपा का कब्जा

सतना को कर्मभूमि मानने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता कुंवर अर्जुन सिंह के चुनाव हारने के बाद यह सीट भाजपा का गढ़ बन गई, पिछले चुनाव को छोड़कर तीन विधानसभा चुनाव से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। भाजपा प्रत्याशी शंकरलाल तिवारी लगातार जीतकर विधायक बनते आ रहे थे, लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस ने सिद्धार्थ कुशवाहा को मैदान में उतरकर अपने अभेद किले को जीत लिया। इस चुनाव में कांग्रेस अपने अभेद किले को बरकरार रखना चाहेगी। वहीं भाजपा अपने गढ़ सतना को वापस पाने को बेकरार है, बाहरी व्यापारियों की आमद से सतना में बस्तियां बसती गई और कस्बा शहर में तब्दील हो गया, अलग-अलग मजहब, जाति धर्म के लोगों के होते हुए भी सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल रहा है, यहां कभी भी सांप्रदायिक संघर्ष नहीं हुआ। भाजपा लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले शंकरलाल तिवारी को चौथी बार 2018 में मैदान में उतारा था, लेकिन वह कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा से 12,558 मतों से चुनाव हार गये, इस तरह भाजपा का विजय रथ पर कांग्रेस ने लगाम लगा दी और वह रुक गया, चुनाव में विजय उम्मीदवार सिद्धार्थ कुशवाहा को 60105 मत मिले थे, वही भाजपा प्रत्याशी शंकरलाल तिवारी को 47547 वोट मिले थे।

भाजपा के विजय रथ का पहिया थम गया 

सतना विधानसभा सीट में हुए पिछले तीन चुनाव की बात करें तो 2008 में भारतीय जनता पार्टी ने अपने विधायक ब्राम्हण कैंडिडेट शंकरलाल तिवारी को टिकट देकर मैदान में उतारा था, वहीं प्रदेश कांग्रेस की दिग्गज नेता बैरिस्टर गुलशेर अहमद के पुत्र सईद अहमद को टिकट दी थी, गहमा गहमी भरे चुनाव में शंकरलाल तिवारी ने सईद अहमद को 10800 वोटों से हरा दिया था। शंकरलाल तिवारी चुनाव जीतकर दूसरी बार विधायक बन गए थे, शंकरलाल तिवारी को 38682 वोट और सईद अहमद को 27882 मत प्राप्त हुए थे, 2013 चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी ने अपने विजय योद्धा शंकरलाल तिवारी को टिकट देकर मैदान में उतारा था। वहीं, कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बदलते हुए ब्राह्मण चेहरा राजाराम त्रिपाठी को मैदान में उतारा था, लेकिन शंकरलाल तिवारी ने राजाराम त्रिपाठी को 15,332 वोटो से हरा दिया और तीसरी बार सतना के विधायक बन गए थे, इस चुनाव में भजपा के शंकरलाल तिवारी को 56160 को मत मिले थे और कॉंग्रेस के राजाराम त्रिपाठी को 40828 को वोट मिले थे, इस चुनाव में बहुजन ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया और उसके उम्मीदवार अनिल अग्रहरि को 28334 वोट प्राप्त हुए थे, 2018 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने तीन बार के विधायक शंकरलाल तिवारी पर विश्वास जताते हुए टिकट देकर लडाया था जबकि कांग्रेस ने एक बार फिर प्रत्याशी बदलते हुए पिछड़े वर्ग के दिग्गज नेता सिद्धार्थ कुशवाहा को मैदान में उतारा था, कांग्रेस की रणनीति सफल हुई और सिद्धार्थ कुशवाहा ने लगातार तीन बार से विधानसभा चुनाव जीत रहे भाजपा प्रत्याशी शंकरलाल तिवारी को 12,558 वोट से हरा दिया, सिद्धार्थ कुशवाहा 60105 वोट और शंकरलाल तिवारी को 47547 मत मिले थे, बहुजन ने एक बार फिर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए उसके उम्मीदवार पुष्कर सिंह तोमर को 35064 वोट मिले थे, इस तरह भाजपा के विजय रथ का पहिया थम गया ।

मैहर विधानसभा में इस बार भाजपा कांग्रेस आमने-सामने

विश्व प्रसिद्ध माँ शारदा..संगीत सम्राट बाबा अलाउद्दीन और सियासी उठापटक वाले विधायक नारायण त्रिपाठी होने से मैहर नगरी पूरे प्रदेश में चर्चित है, मैहर विधानसभा का पिछला चुनाव भाजपा की टिकट पर नारायण त्रिपाठी ने 2984 वोटों से कांग्रेस के श्रीकांत चतुर्वेदी को हराकर विधायक है, भाजपा ने नारायण त्रिपाठी की बजाय श्रीकांत चतुर्वेदी को मैदान में उतारा है,वही कांग्रेस इस बात धर्मेश घई रोमी को उम्मीदवार बनाया है। महत्वपूर्ण बात है कि इस बार विधायक नारायण त्रिपाठी अपनी विन्ध्य जनता पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। मैहर विधानसभा सीट शक्ति की देवी मां शारदा के नाम से जानी और पहचानी जाती है, मैहर में विश्व प्रसिद्ध पद्म विभूषण संगीत सम्राट बाबा अलाउद्दीन खान संगीत के शिखर बने, विश्व के संगीत में बाबा का मैहर घराना प्रसिद्ध है, मैहर नगरी प्रदेश के सियासत में नारायण त्रिपाठी सियासी उठापटक के तौर पर भी जानी जाने लगी है। सतना से अलग कर मैहर जिले को अस्तित्व में लाने में विधायक नारायण त्रिपाठी की अहम भूमिका मानी जाती है। 2023 विधानसभा चुनाव में नारायण त्रिपाठी इस मुद्दे का राजनैतिक लाभ लेंगे। कांग्रेस से बगावत कर नारायण त्रिपाठी ने पिछला चुनाव भाजपा की टिकट पर लड़ा था, त्रिकोणीय मुकाबले में नारायण त्रिपाठी 2,984 वोट से चुनाव जीत गए थे, नारायण त्रिपाठी को 54877 वोट मिले थे, कांग्रेस के श्रीकांत चतुर्वेदी 51893 मत मिले थे, वही बहुजन के मनीष पटेल 33397 वोट प्राप्त हुए थे।

नारायण ने 2,984 मतों के अंतर से चुनाव जीत लिया 

मैहर विधानसभा में मतदाताओं की स्थित देखे तो 2023 में जारी मतदाता सूची के अनुसार यहाँ कुल 256745 मतदाता है जिसमे 134104 पुरुष और 122517 मतदाता है और 02 थर्ड जेंडर मतदाता भी है, पूरे विधानसभा में जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां 32 हजार ब्राम्हण, 30 हजार पटेल, 28 हजार कुशवाहा, 08 हजार क्षत्रीय, 07 हजार बनिया, 23 हजार हरिजन चौधरी, 10 हजार मुश्लिम, 03 हजार कायस्थ, प्रजापति/कुम्हार 06 हजार, बुनकर 03 हजार, बंशकार 04 हजार, दाहिया 03 हजार, यादव 08 हजार, कलार 03 हजार, कोल आदिवासी 20 हजार, गौड़ आदिवासी 12 हजार, लोधी 05 हजार,विष्वकर्मा 05 हजार, सेन, साहू,धोबी,दर्जी,सोनी 24 हजार है ।पिछले तीन विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2003 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा और बहुजन के प्रत्याशीयो को समाजवादी पार्टी की टिकट से लड़ रहे नारायण त्रिपाठी ने हराकर मैहर सीट से सियासत का आगाज़ किया था, 2008 में भाजपा ने मोतीलाल तिवारी को मैदान में उतारा था, उन्हें 34385 वोट मिले थे, कांग्रेस उम्मीदवार मथुरा पटेल को 20079 वोट मिले थे, सपा उम्मीदवार नारायण त्रिपाठी तीसरे स्थान पर थे, इस चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को 14,306 वोट से हरा दिया था, 2013 में कांग्रेस ने नारायण त्रिपाठी को मैदान में उतारा था, उन्हें 48306 वोट मिले थे, भाजपा ने मां शारदा दरबार के पुजारी परिवार के रमेश पांडेय बम बम महाराज को चुनाव लड़ाया था, उन्हें 41331 वोट प्राप्त हुए थे, वही बहुजन ने युवा मनीष पटेल को टिकट दी थी, उन्हें 40561 वोट मिले थे, नारायण त्रिपाठी 6,975 वोट से चुनाव जीत गए थे, चुनाव जीतने के बाद नारायण ने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से बगावत कर दिया था, नारायण खुलेआम भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह का समर्थन करते हुये न सिर्फ मंच साझा किया बल्कि भाजपा में शामिल भी हो गए थे, नतीजतन मैहर में विधानसभा उपचुनाव हो गया, गहमा गहमी भरे 2016 उप चुनाव में भाजपा ने नारायण त्रिपाठी को मैदान में उतारा वहीं कांग्रेस ने मनीष पटेल को चुनाव लड़ाया था, नारायण को 82658 वोट और मनीष पटेल को 54377 वोट मिले थे, नारायण ने यह चुनाव 28,281 वोट के बड़े अंतर से उप चुनाव जीत लिया था, 2018 विधानसभा में भाजपा विश्वास जताते हुये एक बार फिर नारायण त्रिपाठी को मैदान में उतार दिया, उन्हें 54877 वोट मिले थे, कॉंग्रेस ने इस बार युवा नेता श्रीकांत चतुर्वेदी को टिकट दी थी, उन्हें 51893 मिले, वही मनीष पटेल बहुजन की टिकट पर चुनाव लड़े उन्हें 33397 वोट मिले, इस तरह नारायण ने 2,984 मतों के अंतर से चुनाव जीत लिया था। 

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