seoni-malwa assembly constituency : कभी कांग्रेस का ‘गढ़’ रहा सिवनी-मालवा अब भाजपा के रंग में, इस बार कड़ा मुकाबला संभव
नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा विधानसभा 1977 में अस्तित्व में आई थी, जिसमें कांग्रेस के दादा हजारीलाल रघुवंशी यहां से विधायक चुने गए। इसके पहले यह इटारसी विधानसभा के अंतर्गत आती थी।;
सिवनी-मालवा। नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा विधानसभा 1977 में अस्तित्व में आई थी, जिसमें कांग्रेस के दादा हजारीलाल रघुवंशी यहां से विधायक चुने गए। इसके पहले यह इटारसी विधानसभा के अंतर्गत आती थी। तब 1962 में शिवपुर के कुंवर सिंह मंडलोई प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विधायक रहे थे। लंबे समय से सिवनी मालवा विधानसभा कांग्रेस का अभेद्य किला बन गई थी, जिसे जीतने के लिए भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह को 2008 में यहां से प्रत्याशी बनाया था। दांव ठीक बैठा और सरताज सिंह ने कांग्रेस के हजारी लाल रघुवंशी को हराकर सीट भाजपा के कब्जे में डाल दी। वे 2008 और 2013 में यहां से विजयी रहे। सरताज सिंह के कामों का असर 2018 के चुनावों में भाजपा की जीत का बड़ा कारण रहा। हालांकि इस चुनाव में सरताज सिंह भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे और कांग्रेस के टिकट पर हाेशंगाबाद से चुनाव लड़ गए थे, लेकिन उन्हें भाजपा के सीताशरण शर्मा से हार का सामना करना पड़ा। बाद में सरताज ने भाजपा में फिर घर वापसी की। 2 लाख 38 हजार से ज्यादा मतदाताओं वाली इस सीट के लिए 2018 में हुए चुनाव में भाजपा के प्रेम शंकर वर्मा ने कांग्रेस के ओम प्रकाश रघुवंशी को लगभग 6 फीसदी अर्थात लगभग 12 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के लक्ष्मण परते को 5 फीसदी से ज्यादा लगभग साढ़े 9 हजार वोट मिले थे। इस बार मौजूदा विधायक से कार्यकर्ता नाराज और असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। भाजपा के लिए इन्हें संतुष्ट करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। कांग्रेस से कई दावेदार मैदान में हैं, लेकिन ओम रघुवंशी का दावा सबसे मजबूत बताया जा रहा है।
आदिवासी समाज निर्णायक
सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र में अब चार तहसील हो गई हैं। ये सिवनी मालवा, शिवपुर, डोलरिया और केसला हैं। जाितगत वोटो में यहां सबसे ज्यादा आदिवासी समाज के वोट हैं। ये ही चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके बाद रघुवंशी, लौवंशी, राजपूत, गौर, यदुवंशी की गिनती बड़े समाजों में होती है। यह भी हार-जीत के समीकरण उलट पलट करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
निरंकुश अफसरशाही भी मुद्दा
सिवनी मालवा के विधानसभा चुनाव में प्रमुख तौर पर विकास ही मुद्दा रहने वाला है। भाजपा विधायक की सरलता के कारण अफसरशाही का निरंकुश होना और भ्रष्टाचार भी एक बड़ा मुद्दा है। युवाओं के लिए तकनीकी उच्च शिक्षा और रोजगार भी बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा कांग्रेस बायपास रोड, भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी, रेत का अवैध उत्खनन का मुद्दा उठाकर भाजपा को घेरने की पूरी तैयारी में है।
भाजपा की ताकत
मजबूत संगठन का दम
मजबूत संगठन और लगातार सक्रियता के चलते भाजपा लगातार तीन बार से सिवनी मालवा विधानसभा जीत रही है। नगर पालिका में लगातार 5 बार से भाजपा सत्ता पर काबिज है, तो वहीं जनपद भी भाजपा के पास लंबे समय से है। इसकी वजह से पार्टी कार्यकर्ता उत्साहित हैं।
भाजपा की कमजोरी
कमजोर प्रशासन व गुटबाजी
संगठन भले ही भाजपा का मजबूत हो लेकिन गुटबाजी भी यहां चरम पर है। आपसी खींचतान का असर चुनावों के पहले नजर आता है। कार्यकर्ताओं को सम्मान न मिल पाने की नाराजगी भी वरिष्ठों के सामने उजागर हुई है। दो बार से नगर पालिका में गुटबाजी के चलते एल्डरमैन की नियुक्ति तक नहीं हो पाई है।
कांग्रेस की ताकत
एंटी इंकम्बेसी का भरोसा
भाजपा सरकार और विधायक के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी का फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। पहले की तुलना में कांग्रेस की सकि्रयता ज्यादा नजर आ रही है। बड़े नेताओं के मंचों पर कांग्रेस एकजुट नजर आई है तो कार्यक्रमों में भीड़ भी काफी रही है। क्षेत्र में भ्रष्टाचार, अफसरशाही में निरंकुशता, रेत का अवैध उत्खनन से जनता परेशान है, जिसका फायदा कांग्रेस को हो सकता है।
कांग्रेस की कमजोरी
गुटबाजी चरम पर
सिवनी मालवा में कांग्रेस के पावर सेंटर की संख्या बढ़ने से गुटबाजी भी पहले से ज्यादा बढ़ती जा रही है। बड़े नेताओं के कार्यक्रमों में शामिल होने वाले नेता स्थानीय कार्यक्रमों में एक दूसरे के मंच पर नजर नहीं आते। दावेदारों की बढ़ती संख्या और आपसी खींचतान का नुकसान कांग्रेस को हो सकता है।
प्रमुख दावेदार
भाजपा
भाजपा में कई दावेदार
पूर्व जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष योगेंद्र सिंह मंडलोई अपनी प्रशासनिक पकड़ और कार्यकर्ता के साथ खड़े रहने के कारण मजबूत दावेदार नजर आ रहे हैं। इसके साथ कार्यकर्ताओं के बीच के नेता और भाजपा संगठन व संघ में पकड़ के चलते संतोष पारिक और नगर पालिका अध्यक्ष रितेश रिंकू जैन अपने राजनीतिक चातुर्य के चलते नए चेहरे में दावेदार हो सकते हैं। वर्तमान विधायक प्रेमशंकर वर्मा तो मजबूत दावेदार हैं ही। इनके अलावा किसान नेता यशवंत पटेल, डॉ. विशाल सिंह बघेल भी दावेदारी कर रहे हैं।
कांग्रेस
कांग्रेस में ओमप्रकाश रघुवंशी मजबूत
कांग्रेस में वैसे तो दर्जन भर से अधिक दावेदार हैं लेकिन इन सबमें पूर्व विधायक ओमप्रकाश हजारीलाल रघुवंशी मजबूत दावेदार हैं। ओम रघुवंशी पिछला चुनाव हारने के बावजूद क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। इसके अलावा पुराने नेताओं में प्रदेश महासचिव राधेश्याम पटेल, कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष जितेंद्र सिंह सोलंकी, नगर पालिका नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह पटेल, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि सुधीर पटेल भी अपनी दावेदारी रख रहे हैं।