झटका: गरीबों के लिए बनने थे 90 हजार से ज्यादा आवास, प्रोजेक्ट्स में देरी होने से केंद्र ने रोके 850 करोड़ रुपए

850 करोड़ रुपए की राशि पर रोक, हाउसिंग फॉर आॅल, 90 हजार से ज्यादा बनने थे आवास, 18 हजार ही आवास तैयार;

Update: 2021-11-23 14:26 GMT

भोपाल। राजधानी भोपाल में गरीबों के लिए हाउसिंग फॉर आॅल के तहत बनाए जा रहे आवासों की धीमी गति व अन्य शिकायतों के चलते केंद्र सरकार ने 850 करोड़ रुपए की राशि पर रोक लगा दी है। ऐसे में अब शहर में बन रहे इन आवासों पर संकट खड़ा हो सकता है। आपको बता दें कि, अब तक नगर निगम को 90 हजार से ज्यादा से आवास तैयार करने थे। लेकिन अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से अब तक केवल 18 हजार ही आवास तैयार हो पाए हैं। सबके लिए समय आवास न बनाने वाली कंसलटेंट कंपनी पर नगरीय प्रशासन के अफसर लगातार मेहरबानी दिखाए हुए है। मकान बनाने से लेकर उसकी जमीन तय व निर्माण और गुणवत्ता को लेकर कई शिकायतें सामने आ चुकी है। इसको लेकर शहरी विकास व आवास विभाग ने कंसलटेंट कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के लिए नोटिस जारी किए। लेकिन कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई। नतीजन केंद्र से मिलने वाले 850 करोड़ रुपए बैंक में ही रह गए। लोगों की बैंक किश्त हुई शुरु: प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस न होने से यह राशि अटक गई है। इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ रहा है, जिन्होने इन आवासों में अपनी जमा पूंजी उलझा रखी है। कई लोगों ने अपने मकान तोड़कर दीवारे बनाई, लेकिन छत नहीं डल पाई। कई हितग्रीही तो ऐसे है जिन्होने एडवांस ुबुकिंग तक करवाई है। लेकिन उनके आवास अब तक नहीं तैयार नहीं हो पाए है। उनकी बैंकों की किस्त शुरु हो गई है, और अब वह निगम की लेटलतीफी से परेशान हो रहें हैं।

ऐसे समझे अपने सपने की हकीकत:

-राजधानी में एक दर्जन प्रोजेक्ट्स के चलते 35473 आवासों को बनाना था। लेकिन इनमें से केवल 4826 आवासों को ही हितग्राहियों को दिए जा सके हैं।

- ग्वालियर में चार प्रोजेक्ट्स के चलते 3533 आवास बनने थे। इनमें से 2434 मकान बनकर तैयार हुए। 455 मकान सरेंडर कर दिए गए। यानि की अब यह मकान नहीं बनेंगे।

- इंदौर में 6 प्रोजेक्ट्स के चलते 40938 आवास बनने थे। लेकिन अभी तक महज 5578 आवास ही बनकर तैयार हो पाए है।

- जबलपुर में आधा दर्जन प्रोजेक्ट्स में 3347 मकान बनना तय हुए थे। अब इनमें से केवल 1047 आवास ही लोगों को मिल पाए है।

- नर्मदापुरम के आठ प्रोजेक्ट्स में 2497 आवास बनना तय हुए थे। इनमें से 724 आवास ही हितग्राहियों को ही मिल पाए। जबकि 600 मकान सरेंडर कर दिए गए।

- रीवा में एक प्रोजेक्ट्स के तहत चार सौ मकान बनने थे। इनमें 148 आवास ही हितग्राहियों को ही मिल सके।

- चंबल में एक प्रोजेक्ट के चलते 117 मकान बनना तय हुए थे। इनमे से एक भी आवास बनकर तैयार नहीं हुए है।

 आवास योजना के कामों की लगातार समीक्षा की जा रही है। गरीबों का अपने मकान का सपना पूरा हो, इसके लिए लगातार संबंधित कंपनी को निर्देश दिए जा रहें हैं। निकुंज श्रीवास्तव, आयुक्त, नगरीय प्रशासन

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