Sidhi-Singrauli Road Project : जब राज्यसभा में हुई ‘सीधी बात’ तो गडकरी ने कहा- मुझे ‘गिल्ट’ फील होता है
मप्र के सीधी-सिंगरौली राष्ट्रीय राजमार्ग पर राज्यसभा में सीधी बात हो गई। तेजतर्रार भाजपा सांसद अजय प्रताप सिंह ने सीधे सीधे सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को घेरते हुए कहा, मंत्री जी आप की देशभर में बडी प्रतिष्ठा है। आपके काम की प्रशंसा होती है मगर हमारे क्षेत्र के लोग पूछते हैं कि मंत्री जी को सीधी-सिंगरौली में क्या हो जाता है? भाजपा सांसद के तेवर आक्रामक थे।;
भोपाल। मप्र के सीधी-सिंगरौली राष्ट्रीय राजमार्ग पर राज्यसभा में सीधी बात हो गई। तेजतर्रार भाजपा सांसद अजय प्रताप सिंह ने सीधे सीधे सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को घेरते हुए कहा, मंत्री जी आप की देशभर में बडी प्रतिष्ठा है। आपके काम की प्रशंसा होती है मगर हमारे क्षेत्र के लोग पूछते हैं कि मंत्री जी को सीधी-सिंगरौली में क्या हो जाता है? भाजपा सांसद के तेवर आक्रामक थे। उन्होंने कहा, इस प्रोजेक्ट को 2008 में मंजूर किया गया था। 15 साल बाद भी नहीं बना है। कारण बताया गया कि भूमि अधिग्रहण नहीं हो पाया है। इसके साथ ही अजय प्रताप सिंह ने केंद्रीय मंत्री से कहा कि भूमि अधिग्रहण में देरी के लिए क्या वह राज्य सरकार को उनके अधिकारियों की जिम्मेदारी के लिए लिखेंगे कि किनकी वजह से देर हुई है।
जवाब देते हुए ‘गिल्ट’ फील होता है
जवाब में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, मुझे इस सवाल का जवाब देते हुए ‘गिल्ट’ फील होता है। केंद्रीय मंत्री नितिन कहा कि स्थिति, परिस्थिति कुछ ऐसी बनी कि मुंबई-गोवा और सीधी-सिंगरौली एनएच पर किताब लिखी जा सकती है।
ऐसे लगी प्रोजेक्ट पर ‘साढ़े साती’
गडकरी ने कहा कि यह बाद सही है। इस प्रोजेक्ट का काम 2013 में प्रॉयरिटी बेसिस पर गैमन इंडिया को दिया गया था। कंपनी काम नहीं कर सकी। केंद्रीय मंत्री ने आश्वस्त करते हुए कहा कि इस साल दिसंबर तक हम प्रोजेक्ट को पूरा करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। उन्होंने फिर इस अटकी हुई सड़क की कहानी बताते हुए कहा कि पहले यह जब यह काम अटका था तो कोल इंडिया से पैसे मांगकर इस रोड को करने की बात आई थी। इस पर कोल इंडिया के प्रस्ताव आए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है। पहली पार्टी फेल हो गई। उसको टर्मिनेट किया तो वह कोर्ट में चली गई। कोर्ट ने स्टे दिया तो यह अवॉर्ड नहीं हो पाया। दूसरी पार्टी को दिया तो वह अच्छी नहीं निकली। कंक्रीट रोड बनाने के लिए कांट्रेक्टर से बात की है। उसके पास भी पूंजी भी कमी है। अब मंत्रालय 33 करोड़ रुपए देगा।