भोपाल की कोच फैक्ट्री में सवारी डिब्बों के सुधार कार्य में तेजी, ट्रेनें पटरी पर लौटने का असर, जानिए फिट किए जा रहे हैं कितने कोच

ट्रेनें पटरी पर लौटने के बाद भोपाल के निशातपुरा सवारी डिब्बा पुन: निर्माण कारखाना में कोचों के सुधार से जुड़ा काम बढ़ गया है। रेलकर्मी हर माह 95 कोचों को फिट करके निकाल रहे हैं। ये कोच पश्चिम मध्य रेलवे जोन के भोपाल, जबलपुर और कोटा रेल मंडल के हैं। जिन्हें हर दो साल में सुधार के लिए कारखाना भेजा रहा है।;

Update: 2022-05-27 05:30 GMT

भोपाल। ट्रेनें पटरी पर लौटने के बाद भोपाल के निशातपुरा सवारी डिब्बा पुन: निर्माण कारखाना में कोचों के सुधार से जुड़ा काम बढ़ गया है। रेलकर्मी हर माह 95 कोचों को फिट करके निकाल रहे हैं। ये कोच पश्चिम मध्य रेलवे जोन के भोपाल, जबलपुर और कोटा रेल मंडल के हैं। जिन्हें हर दो साल में सुधार के लिए कारखाना भेजा रहा है।

काम मेें  लगाए गए दो हजार रेलकर्मी

निशातपुरा कोच फैक्ट्री में हर माह पुरानी डिजाइन के 70 आइसीएफ कोच और जर्मन कंपनी लिंक हॉफमैन बुश के तकनीकी सहयोग से तैयार 25 एलएचबी कोचों का मेंटेनेंस सफलता पूर्वक किया जा रहा है। इस काम में 2000 रेलकर्मी लगे हुए हैं।

कोरोना काल में कम था काम का दबाव

मुख्य कारखाना प्रबंधक ने बताया कि बीते डेढ़ से दो साल तक काम का दबाव कम था क्योंकि कोरोना संक्रमण के कारण ट्रेनें ही पटरी पर नहीं थी। गिनी-चुनी ट्रेनें ही चल रही थी इसलिए सुधार के लिए कोच भी कम आए थे। उनका मेंटेनेंस तय समय में किया जाता रहा है। अब ट्रेन परिचालन लगभग सामान्य होता जा रहा है इसलिए कोचों के सुधार की जरूरत भी बढ़ गई है। जिसके लिए कारखाना प्रबंधन पूरी तरह तैयार है। हर माह 125 से 150 कोच का मेंटेनेंस करने की योजना पर काम किया जा रहा है। पूर्व में पुरानी डिजाइन के कोचों का ही सुधार करते थे। डेढ़ साल से एलएचबी कोचों का भी सुधार किया जा रहा है। इसके लिए नई ट्रॉली से लेकर अलग-अलग संसाधन जुटाने पड़े हैं। एलएचबी कोच आधुनिक तकनीकी से बने है जिनके सुधार के लिए भी आधुनिक तकनीकी का ही उपयोग करना पड़ता है। किसी भी स्तर पर कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।

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