Bhopal: हैदराबाद मॉडल पर आदमपुर छावनी में शुरू हुई स्ट्रीट डॉग की नसबंदी

Bhopal: भोपाल के आदमपुर छावनी में स्ट्रीट डॉग की बढ़ती आवादी को देखते हुए 30 से 35 स्ट्रीट डाग की नसबंदी शुरू कर दी गई है। स्ट्रीट डाग की नसबंदी, कंट्रोल के लिए हैदराबाद मॉडल अपनाया जा रहा है। आइए जानते हैं पूरी खबर विस्तार से...;

Update: 2023-07-24 21:45 GMT

Bhopal: नगर निगम ने शहर में स्ट्रीट डॉग की आबादी कंट्रोल करने के लिए तीन एनीमल बर्थ कंट्रोल सिस्टम (Animal Birth Control System) सेंटर कजलीखेड़ा, कोलारए अरवलिया बैरसिया रोड व आदमपुर छावनी के हर सेंटर पर कम से कम 30 से 35 नसबंदी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बारिश के बाद यह संख्या और बढ़ाई जा सकती है। इस प्रकार तीनों सेंटर पर मिलाकर कुल 90 से 100 स्ट्रीट डॉग की नसबंदी करने की योजना है। नगर निगम की टीम बारिश रुकने पर इन स्ट्रीट डॉग को पकड़ती है। टीम को निर्देश है कि रात या दिन जब भी बारिश रुके स्ट्रीट डॉग को पकड़ें। यह पहला मौका है जब नगर निगम भोपाल ने यह अभियान शुरू किया है। क्योंकि अभी तक निगम का स्वयं का एक भी एबीसी सेंटर नहीं था।

नगर निगम ने शहर में स्ट्रीट डॉग को लेकर सर्वे नहीं कराया है। लेकिन एक अनुमान के अनुसार शहर में एक लाख से ज्यादा ऐसे स्ट्रीट डॉग हैं, जिनकी नसबंदी नहीं हुई है। इस कारण शहर में हररोज 50 से ज्यादा स्ट्रीट डॉग जन्म लेते हैं। नगर निगम अधिकारियों का दावा है कि स्ट्रीट डॉग्स पर कंट्रोल करने के लिए हैदराबाद मॉडल अपनाया जा रहा है। इससे प्रयास किया जा रहा है कि ज्यादा से ज्यादा स्ट्रीट डॉग की नसबंदी की जा सकेगी।

हैदराबाद की तर्ज पर तैयार हुए सेंटर

हैदराबाद मॉडल के तहत नगर निगम शहर के अलग अलग इलाकों में तीन एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर बनाए गए हैं। दावा है कि इससे हर रोज करीब 100 से ज्यादा स्ट्रीट डॉग की नसबंदी हो सकेगी। आने वाले डेढ़ से दो साल में शहर में स्ट्रीट डॉग की आबादी काबू में होने का अनुमान है।

अभी यह है आवारा कुत्तों की स्थिति

70 से ज्यादा डॉग बाइटिंग के केस शहर में रोज होते हैं। 50 से ज्यादा नए स्ट्रीट डॉग शहर में रोज लेते हैं जन्म।

हैदरबाद मॉडल से लाभ

नगर निगम अधिकारियों के अनुसार हैदराबाद मॉडल से स्ट्रीट डॉग के बर्थ कंट्रोल करने में मिलेगी सफलता। क्योंकि दो साल पहले तक हैदराबाद में डॉग बाइटिंग बड़ी समस्या थी। ऐसे में प्रशासन ने एबीसी की संख्या बढ़ाई और संचालन का जिम्मा एक के बजाय चार संस्थाओं को दिया। नतीजा यह हुआ कि यहां हररोज नसबंदी की संख्या 100 से बढ़कर 300 हो गई और स्ट्रीट डॉग की संख्या नियंत्रण में आ गई।

भोपाल में तीन एबीसी सेंटर बनकर तैयार हो गए और रोजाना हर सेंटर पर 30 से 35 स्ट्रीट डॉग की नसबंदी की जा रही है। पहली बार नगर निगम के एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर बने हैं। इसलिए तीनों सेंटर पर मिलाकर कुल 90 से 100 स्ट्रीट डॉग की नसबंदी रोजाना संभव हो सकी है।

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