ओबीसी आरक्षण मामले को सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनने लायक नहीं माना, सुनवाई के लिए 17 जनवरी तय

जिस ओबीसी आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश की राजनीति गरम ह, विचाराधीन याचिकाओं में केंद्र सरकार तक पार्टी बन गई है, उसे सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई लायक ही नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर तत्काल सुनवाई की जरूरत नहीं है और यह टिप्पणी कर सुनवाई की तारीख 17 जनवरी तय कर दी। ओबीसी आरक्षण पर छिड़ी जंग के बीच पंचायत चुनाव पहले ही टाले जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के रुख से न्यायालय में भी इसके लंंबे खिंचने के आसार बन गए हैं।;

Update: 2022-01-03 11:07 GMT

भोपाल। जिस ओबीसी आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश की राजनीति गरम ह, विचाराधीन याचिकाओं में केंद्र सरकार तक पार्टी बन गई है, उसे सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई लायक ही नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर तत्काल सुनवाई की जरूरत नहीं है और यह टिप्पणी कर सुनवाई की तारीख 17 जनवरी तय कर दी। ओबीसी आरक्षण पर छिड़ी जंग के बीच पंचायत चुनाव पहले ही टाले जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के रुख से न्यायालय में भी इसके लंंबे खिंचने के आसार बन गए हैं। कोर्ट की टिप्पणी थी कि यह अर्जेंट मैटर नहीं है।

यह थी महाधिवक्ता की दलील

इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि ओबीसी आरक्षण के लिए सभी राज्यों से ट्रिपल टेस्ट अनिवार्य करने की बात कह रहे हैं। मप्र सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे कोर्ट में उपस्थित हुए। राज्य की और से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया जाएगा कि पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की गणना कराई जा रही है।

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