ED के समन करने और बयान लेने के प्रावधान पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट, नेता प्रतिपक्ष डॉ सिंह की याचिका पर जारी किए नोटिस

मध्यप्रदेश में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ED के किसी आरोपी को समन करने और बयान लेने के प्रावधान पर विचार करने को तैयार हो गया है। उसने केंद्र सरकार एवं ईडी को नोटिस कर जवाब मांगा है। प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट PMLA के प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का यह अहम कदम माना जा रहा है।;

Update: 2023-03-28 11:11 GMT

भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ED के किसी आरोपी को समन करने और बयान लेने के प्रावधान पर विचार करने को तैयार हो गया है। उसने केंद्र सरकार एवं ईडी को नोटिस कर जवाब मांगा है।  प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट PMLA के प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का यह अहम कदम माना जा रहा है।

इस प्रावधान पर जारी किया नोटिस

डॉ सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने PMLA एक्ट के तहत ED के समन करने के प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। जस्टिस एस के कौल, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में PMLA की धारा 50 और 63 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। याचिका में ED द्वारा 13 जनवरी को डॉ गोविंद सिंह को जारी समन को भी रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि PMLA को प्रावधानों को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा होनी चाहिए और इस मामले को बड़ी संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाना चाहिए, क्योंकि ये प्रावधान लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन करता है। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल और समीर सोढ़ी पेश हुए।

यह है प्रावधान

जानकारी के अनुसार PMLA की धारा 50 ED अफसरों को किसी को बयान के लिए समन जारी करने और अफसरों के सामने बयान रिकॉर्ड करने का प्रावधान करती है। ऐसे बयान अदालत में मान्य होते हैं। 27 जुलाई 2022 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट ( PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम और महाराष्‍ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख समेत 242 याचिकाओं पर SC फैसला सुनाया था। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रवि कुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाया था।

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