बदलती जिंदगी के टकराव को अलग तरह से किया उजागर
लिटिल बैले ट्रुप में नाटक 'वक्त के कराहते रंग' का मंचन;
भोपाल। चेतना रंग समूह के चार दिवसीय नाट्य समारोह के दूसरे दिन सोमवार को इब्राहिम यूसुफ द्वारा लिखित नाटक वक्त के कराहते रंग का मंचन हुआ। जिंदगी में अक्सर ऐसा भी वक्त आता है जब, जिंदगी बेरंग और बंजर सी महसूस होती है। हम उसी के साथ जीना सीख भी लेते हैं, लेकिन यह कहीं न कहीं चुभता भी है। उर्दू संवाद से सजे इस नाटक में न सिर्फ रोजाना की जिंदगी के दुख दिखते हैं, बल्कि बदलती जिंदगी के टकराव को अलग तरह से उजागर किया गया। डेढ़ घंटे की इस प्रस्तुति का निर्देशन अभिनेता राजीव वर्मा ने किया।
बहु को नया जीवन शुरू करने की देता है सलाह
नाटक में मुस्लिम परिवार है, जिसमें हाल ही में हुई बेटे की मौत से मातमपसरा हुआ। ऐसे में पत्नी जो इस घटना के बाद से ही मायके में अपने गम को भुलाने के बाद वापस अपने ससुराल पहुंचकर एक बेहद संजीदा सवाल पूछते हुए कहती है क्या मैं इस घर में रह सकती हूं? जिसका जवाब समाज के शब्दकोश में मिलते नहीं हैं। परिवार अपनी बहु को नया जीवन शुरू करने की सलाह देता है, लेकिन वह अभी इस दुख से उबर नहीं पाई है।
आन स्टेज
नाटक में राजीव वर्मा, रीता वर्मा, अशोक बुलानी, नीति श्रीवास्तव, महुआचटर्जी , संजय श्रीवास्तव, दिनेश नायर, प्रेम अस्थाना और संतोष सरन नेअभि नय के जौहर दिखाए।