मध्यप्रदेश में आयुष्मान कार्ड से भूतों का इलाज!, सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा

केन्द्र की मोदी सरकार स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग रहती आई है। खास तौर पर आर्थिक और कमजोर लोगों के लिए मोदी सरकार ने आयुष्मान योजना शुरू की थी। सरकार ने इस योजना की शुरूआत साल 2018 में की थी। इस योजना के तहत 5 लाख रूपए तक के इलाज की सुविधा मिलती है। सरकार की यह योजना गरीबों के लिए एक तरह से वरदान साबित हुई, लेकिन मध्यप्रदेश में इस योजना के नाम पर बड़ा फर्जीबाड़ा किया जा रहा है।;

Update: 2023-08-10 09:06 GMT

MP Ayushman Card Fraud : केन्द्र की मोदी सरकार स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग रहती आई है। खास तौर पर आर्थिक और कमजोर लोगों के लिए मोदी सरकार ने आयुष्मान योजना शुरू की थी। सरकार ने इस योजना की शुरूआत साल 2018 में की थी। इस योजना के तहत 5 लाख रूपए तक के इलाज की सुविधा मिलती है। सरकार की यह योजना गरीबों के लिए एक तरह से वरदान साबित हुई, लेकिन मध्यप्रदेश में इस योजना के नाम पर बड़ा फर्जीबाड़ा किया जा रहा है।

हाल ही में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि मध्यप्रदेश में किस तरह से आयुष्मान कार्ड से एक मरीज का इलाज कई अस्पतालों में किया जा रहा है। इतना ही नहीं हद तो तब हो गई जब आयुष्मान कार्ड से मुर्दो तक का इलाज कर दिया गया। कैग की रिपोर्ट में राज्य में ऐसे 8,081 मामले सामने आए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में एक लाभार्थी की आयुष्मान भारत योजना के तहत अपना इलाज करवाने के दौरान उसकी मौत हो गई, उसे मृत भी घोषित कर दिया गया, लेकिन वही लाभार्थी एक से अधिक कई अस्पतालों में इलाज करवा रहा था। रिपोर्ट में कई मृत लोगों का रजिस्ट्रेशन भी पाया गया है। एक रोगी का एक समय में कई अस्पतालों में इलाज होने के मामले में करीब 213 अस्पताल शामिल है। रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 403 मृतकों के इलाज के नाम पर करीब 1 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान भी हो चुका है।

बिस्तारों से ज्यादा मरीज

रिपोर्ट में बताया गया है कि जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल में 20 मार्च 2023 तक 100 बेड थे, लेकिन इसमें 233 मरीजों को दिखाया गया था। ऐसे ही ऐसे कई अस्पताल है जिनमें बेड की संख्या से अधिक मरीजों की संख्या दिखाई गई है। कुल मिलाकर आयुष्मान भारत योजना के तहत फर्जीबाड़ा कर अबतक 286 करोड़ की राशि का भुगतान किया जा चुका है, जिसमें से 160 करेाड़ की राशि बायोमेट्रिक प्रमाण के बिना भुगतान की गई है। रिपोर्ट के अनुसार एक रोगी का एक से अधिक अस्पतालों में इलाज के मामले मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, पंजाब में देखे गए है।

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