MP NEWS: मप्र में कामकाजी महिलाओं की संख्या में अप्रत्याशित रूप से हुई बढ़ोतरी, 5 वर्ष में यह संख्या 22% तक बढ़ी

चीन का औसत 75.6 फीसदी है। भारत में 83.2% पुरुष व 39.8% महिलाएं किसी न किसी काम धंधे से जुड़े हैं। पिछले पांच सालों में इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है। पांच वर्ष पहले 2017-18 में राष्ट्रीय औसत 53% ही था। इसमें भी पुरूष 80.2% तथा महिलाओं की संख्या महज 25.3% थी। मप्र में 86.8 % पुरुष व 47.8% महिलाएं किसी न किसी काम-धंधे से जुड़े हैं।;

Update: 2023-11-25 04:13 GMT

MP NEWS: भोपाल। मप्र में कामकाजी महिलाओं की संख्या में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी हुई है। यह राष्ट्रीय औसत 61.6 से करीब 6% से भी ज्यादा है। चीन का औसत 75.6 फीसदी है। भारत में 83.2% पुरुष व 39.8% महिलाएं किसी न किसी काम धंधे से जुड़े हैं। पिछले पांच सालों में इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है। पांच वर्ष पहले 2017-18 में राष्ट्रीय औसत 53% ही था। इसमें भी पुरूष 80.2% तथा महिलाओं की संख्या महज 25.3% थी। मप्र में 86.8 % पुरुष व 47.8% महिलाएं किसी न किसी काम-धंधे से जुड़े हैं। सबसे अधिक संख्या महिलाओं की करीब 22% बढ़ी है। मप्र में पिछले 10 वर्षों में काफी कुछ परिवर्तित हुआ है। महज पांच वर्ष पहले की ही बात करें तो मप्र में

महिलाओं के रोजगार का स्तर असंतोषजनक

महिलाओं के रोजगार का स्तर अंसतोषजनक था। 100 महिलाओं में से महज 25 महिलाओं को रोजगार मिला था, यानी 75 महिलाएं बेरोजगार थीं। उनके पास कोई भी काम धंधा नहीं था। किंतु इसमें बढ़ोतरी हुई और पांच साल में ही यह राष्ट्रीय औसत से भी उपर निकल गया। कोरोना काल के बाद आज की स्थिति में करीब 50 फीसदी महिलाएं किसी न किसी तरह के काम धंधे, खासकर ऑफिस कार्य, कृषि, उद्योग धंधे आदि सभी तरह के कार्यों में संलग्न हैं। दरअसल, अभी हाल ही में भारत की श्रम बल सहभागिता दर (एलएफपीआर) की वार्षिक रिपोर्ट जारी हुई है। इसमें 18 वर्ष के ऊपर तथा 60 वर्ष के नीचे के पुरुष व महिलाओं के रोजगार के स्तर को दर्शाया गया है। इसी के तहत पौडियाट्रिक लेबर फोर्स सर्व (पीएलएफएस) की भी रिपोर्ट जारी हुई।

सबसे अधिक हिमांचल का प्रतिशत

सबसे अधिक हिमाचल का 81.3 व सबसे कम लक्षदीप का 46.4 8 राष्ट्रीय औसत 61.6 से करीब 6% ज्यादा करीब 50% महिला किसी न किसी काम से जुड़ी राज्यों में दूसरे नंबर पर सिक्किम है। जो 2017-18 के 53% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में औसत 61.6% हो गई है। इसमें पुरुषों की एलएफपीआर 83.2% है और महिलाओं की 39.8% है। रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के कामकाजी बल में बढ़ती सहभागिता का पता चलता है। इसमें बढ़ती एलएफपीआर का मतलब यह भी हो सकता है कि यदि पर्याप्त रोजगार का सृजन नहीं होता है, तो रोजगार में बढ़ोतरी नहीं हो सकती। मप्र में एलएफपीआर 67.8% है, जो कि राष्ट्रीय औसत से ऊपर है, लेकिन यहां पर महिला और पुरुष की एलएफपीआर में बड़ा अंतर है। इन आंकड़ों का गहराई से विश्लेषण करने पर मप्र में कामकाजी महिलाओं व पुरुषों के रोजगार की वास्तविक स्थिति और प्रदेश के आर्थिक स्वास्थ्य को समझ सकते हैं।

देश भर के एलएफपीआर को चात करें तो सबसे अधिक रोजगार

हिमाचल प्रदेश में है। वर्ष 2022-23 को एक रिपोर्ट अनु‌सार यहां 86.2% पुरुष व 76.6 फीसदी महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है। यह देश में सबसे अधिक है। जबकि सबसे कम रोजगार लक्षद्वीप में है। यहां 81.6% पुरुषों को रोजगार मिला है, जबकि महज 20 महिलाएं ही रोजगार में हैं। सबसे अधिक रोजगार वाले राज्यों में दूसरे नंबर पर सिक्किम है, यहां 846% पुरुष और 711% महिलाएं रोजगार में हैं। यह औसत 18.1% है। छत्तीसगढ़ तीसरे

नंबर पर है। मप्र इस मामले में 9वें नंबर पर है। बाए में 68 फीसदी पुरुष व 478 फीसदी महिलाएं किसी न किसी काम-धंधे से जुड़े हैं। यह औसत 67.8% है। एलएफपीआर में दिल्ली और बिहार का औसत एक समान लेकर जिलों में की जा रही तैयारियों का जायजा लिया और कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) राजन सबसे पहले सीहोर जिले की शासकीय महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज पहुंचे। यहां 3 दिसंबर को सीहोर जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों के लिए होने वाली मतगणना के लिए की जा रही तैयारियों आदि का अवलोकन किया। राजन को सीहोर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी प्रवीण सिंह ने मतगणना के लिए की जा रही व्यवस्थाओं और तैयारियों के बारे में विस्तार से अवगत कराया। मतगणना स्थल पर स्ट्रांग रूम की सीसीटीवी के माध्यम से बाद उन्होंने हुय विधानसभा क्षेत्रो वाली मतगणना तैयारियों का निरी विधानसभा क्षेत्रवार सतगणना कड़ी में तैयारियों का जायज ही डाक मतपत्रों को लिए की जा रही व्य को देखा। उन्होंने मत मतगणना कार्य में स की संख्या, सुरक्षा व्य मतपत्रों की संख्या के बारे में जानकारी ली

Tags:    

Similar News