नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने क्यों कहा- तो खाली हो जाएंगे मध्यप्रदेश के सरकारी दफ्तर, कर डाली यह मांग

मध्यप्रदेश में सरकारी महकमों में निरन्तर खाली होते पदों को भरने की प्रक्रिया में राज्य सरकार द्वारा की जा रही लेटलतीफी पर नेता प्रतिपक्ष डाॅ गोविन्द सिंह ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है भाजपा सरकार ने 18 वर्ष के कार्यकाल में 18 बार सरकारी रिक्त पदों को भरने की घोषणाएं की लेकिन ये जुमला साबित हुई। कई विभागों में सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती पर रोक लगी है। साल-दर-साल कर्मचारी तो सेवानिवृत्त हो रहे हैं लेकिन उनकी जगह नई भर्ती नहीं की जा रही है। यदि सरकार ने सीधी भर्ती पर से रोक नहीं हटाई तो करीब साढ़े तीन साल बाद सरकारी दफ्तरों में सन्नाटा पसरा दिखाई देगा। वे खाली हो जाएंगे।;

Update: 2022-09-02 05:02 GMT

भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकारी महकमों में निरन्तर खाली होते पदों को भरने की प्रक्रिया में राज्य सरकार द्वारा की जा रही लेटलतीफी पर नेता प्रतिपक्ष डाॅ गोविन्द सिंह ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है भाजपा सरकार ने 18 वर्ष के कार्यकाल में 18 बार सरकारी रिक्त पदों को भरने की घोषणाएं की लेकिन ये जुमला साबित हुई। कई विभागों में सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती पर रोक लगी है। साल-दर-साल कर्मचारी तो सेवानिवृत्त हो रहे हैं लेकिन उनकी जगह नई भर्ती नहीं की जा रही है। यदि सरकार ने सीधी भर्ती पर से रोक नहीं हटाई तो करीब साढ़े तीन साल बाद सरकारी दफ्तरों में सन्नाटा पसरा दिखाई देगा। वे खाली हो जाएंगे।

सिंह ने जारी किए ये आंकड़े

नेता प्रतिपक्ष सिंह ने कहा कि वर्ष 2001 में प्रदेश में नियमित अधिकारी-कर्मचारियों की संख्या 5 लाख 13 हजार थी। 31 मार्च 2018 में यह आंकड़ा घटकर 4,52,439 हो गया। इस समय प्रदेश में 4 लाख 37 हजार नियमित अधिकारी-कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि अभी बड़े विभागों को छोड़कर 36 विभागों में रिक्त पदों की जानकारी प्राप्त हुई, जिसमें 40 हजार पद रिक्त बताये गए हैं। सभी 56 विभागों में लगभग 93 हजार से ज्यादा पद रिक्त है, जिसमें सबसे ज्यादा 30 हजार पद स्कूल शिक्षा विभाग के हैं। दूसरी ओर प्रदेश के 33 हजार स्कूल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हैं। इसी क्रम उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत 14 सरकारी विश्व विद्यालयों के कालेजों में 1193 प्रोफेसर के पद रिक्त हैं। अतिथि विद्वानों के भरोसे कॉलेज चल रहे हैं। सैकड़ों प्रोफेसर रिसर्च कक्षाओं के साथ विश्वविद्यालयों के कार्यालय के गैर शैक्षणिक कार्य कर रहे हैं। यह आकड़े यह दर्शा रहे है कि स्कूल और कॉलेजों में शिक्षकों एवं प्रोफेसरों की भारी कमी से शिक्षण कार्य प्रभावित है। इसके अलावा नगर पालिक निगम, नगरपालिकाओं, नगर परिषदों, कृषि उपज मण्डी, निगम मण्डलों में 60 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त है। जिससे निगम मण्डलों के कार्यालय के कार्य ठप्प पड़े हैं।

काम चलाऊ व्यवस्था पर चिंता

डॉ सिंह ने रिक्त पदों को भरने के बजाय कामचलाऊ व्यवस्था के तहत सरकारी विभागों में की जा रही आउटसोर्सिंग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आउट सोर्स व्यवस्था समाप्त की जाए एवं उन्हें नौकरी की गारंटी दी जाए। यही नहीं उन्होंने बेरोजगारों के साथ ठगी किए जाने पर भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में खुद सरकार स्वीकार कर चुकी है कि व्यापमं की परीक्षाओं के जरिए व्यापम ने 10 सालों में 455 करोड़ रुपए कमा लिए। नेता प्रतिपक्ष ने शिवराज सरकार द्वारा बेरोजगारों को रोजगार दिए जाने के नाम पर लगाए जा रहे रोजगार मेलों पर तंज कसते हुए कहा कि रोजगार मेलों के नाम पर सरकार क्या प्रदर्शित करना चाह रही है।


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