गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर की बैंकिंग नियमन कानून के प्रावधानों में संशोधन की मांग
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर बैंकिग नियमन कानून के कुछ प्रावधानों में हालिया संशोधनों को राज्य के सहकारी बैंकों व सहकारिता की मूल भावना के विपरीत बताते हुए इन पर पुनर्विचार करने तथा पूर्व की व्यवस्था बहाल करने का आग्रह किया है।;
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर बैंकिग नियमन कानून के कुछ प्रावधानों में हालिया संशोधनों को राज्य के सहकारी बैंकों व सहकारिता की मूल भावना के विपरीत बताते हुए इन पर पुनर्विचार करने तथा पूर्व की व्यवस्था बहाल करने का आग्रह किया है।
इसके साथ ही गहलोत ने नए बैंकिंग रेग्यूलेशन एक्ट में सहकारी बैंकों से जुड़े किए गए संशोधनों को भी वापस लेने की मांग की है। सीएम गहलोत ने इसकी जानकारी ट्वीट करके दी है। गहलोत ने अपने पत्र में लिखा है कि संसद में हाल ही में पारित विधेयक संख्या 56 के माध्यम से बैंकिग नियमन कानून की धारा 10 व 10 ए को सहकारी बैंकों के लिए प्रभावी कर दिया गया है।
इन संशोधनों के माध्यम से सहकारी बैंकों के संचालक मण्डल के 51 प्रतिशत सदस्यों के पास पेशेवर अनुभव होना आवश्यक कर दिया गया है जो व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
पत्र के अनुसार सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों की भांति शेयर एवं प्रतिभूतियां जारी करने का अधिकार शेयरधारकों के प्रतिनिधित्व 'एक व्यक्ति - एक वोट' के सहकारी सिद्धांत के विपरीत उसकी शेयरधारिता से अधिक प्रतिशत पर दिए जाने का प्रावधान है जो सहकारिता के मूल सिद्धान्तों के विपरीत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2001 के विभिन्न प्रावधानों में समिति के पदाधिकारियों द्वारा निर्धारित कर्तव्य व मापदण्ड में किसी प्रकार की गलती करने पर संचालक मण्डल को भंग करने का अधिकार रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां में निहित है। सहकारी बैंकों में वित्तीय अनियमितता पाये जाने पर रिजर्व बैंक की अनुशंसा पर रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां द्वारा संचालक मण्डल को भंग करने के प्रावधान हैं।
संशोधन के बाद ये समस्त अधिकार रिजर्व बैंक को दे दिए गए हैं। परिवर्तित व्यवस्था से सहकारी बैंकों पर राज्य सरकार के सहकारी विभाग का प्रभावी नियंत्रण नहीं रह पाएगा। गहलोत ने लिखा कि कानून में कई संशोधन सहकारिता के मूल सिद्धांतों के विपरीत हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि सहकारी बैंकों में ग्रामीण पृष्ठभूमि के सदस्यों को देखते हुए पेशेवर अनुभव आवश्यक होने की शर्त तथा अन्य संशोधनों पर पुनर्विचार करते हुए पूर्व की व्यवस्था बहाल की जाए।