ड्रोन से होगा टिड्डियों के आतंक का अंत, एक बार में 10 लीटर कीटनाशक ले जाने की क्षमता
ट्रैक्टर के स्प्रे से टिड्डियों के आतंक पर कोई असर नहीं हो पा रहा है। इसलिए अब नई तकनीक ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा।;
राजस्थान में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक कोरोना और दूसरा टिड्डियों का आतंक है, जो सीमा पार से आए किसानों के लिए आफत बन गया है। शुरुआती दौर में ट्रैक्टर के जरिए किसी तरह से कीटनाशक दवा का छिड़काव करना शुरू किया।
लेकिन इसका असर टिड्डियों पर बिल्कुल भी देखने को नहीं मिल रहा है। पेड़ पर छिड़काव होते ही टिड्डियों (Locusts Attack) के झुंड जमीन पर गिरने के बजाय आसमान में उड़ जाते हैं। इस परेशानी को देखते हुए कृषि विभाग ने नए तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है।
कृषि विभाग के प्रमुख सचिव नरेशपाल गंगवार ने बताया कि हमने कुछ दिन पहले टिड्डी से ग्रसित इलाकों का जायजा लिया था। जहां देखा कि गाड़ी से छिड़काव करने पर टिड्डियों के ऊपर कोई असर नहीं पड़ रहा है। नीचे से पेड़ पर छिड़काव होते ही टिड्डियों के झुंड ऊपर उड़कर चली जाती है।
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इसलिए हमने फैसला लिया कि अब ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। जहां ड्रोन (Drone) अक्सर आमजन लोगों पर नजर बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता था, वहीं अब टिड्डियों पर नजर रख कीटनाशक दवा का छिड़काव करेगा।
कृषि विभाग का कहना है कि एक सप्ताह के भीतर 25 ड्रोन काम करना शुरू कर देंगे। एक ड्रोन में एक बार में 10 लीटर कीटनाशक ले जाने की क्षमता होगी। वहीं, बाड़मेर में दो ड्रोन दिए गए हैं। इसका इस्तेमाल कर टिड्डी से ग्रसित पेड़ों पर छिड़काव किया जा सकेगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में टिड्डी के हमले को कंट्रोल करने के लिए ट्रैक्टर की मदद से छिड़काव किया जाएगा।