राजस्थान में तेजी से फैल रहा बर्ड फ्लू का आतंक, गहलोत बोले- पक्षियों की मौत की घटनाओं पर विशेष निगरानी रखें

राजस्थान के झालावाड़ में ‘बर्ड फ्लू' की पुष्टि के बाद कोटा और बांरा जिलों के पक्षियों के नमूनों के जांच परिणामों में भी एवियन इंफ्लूऐंजा के एच5एन8 प्रकार का संक्रमण पाया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार यह वायरस एच5एन1 से कम संक्रमित है।;

Update: 2021-01-06 07:09 GMT

जयपुर। राजस्थान में बर्ड फ्लू (Bird Flu) का आतंक तेजी से फैलता जा रहा है। अभी यहां कोरोना के प्रकोप में कुछ कमी आई थी कि अब बर्ड फ्लू े प्रदेश सरकार की चिंता बढ़ा दी है। वहीं राजस्थान के झालावाड़ में 'बर्ड फ्लू' की पुष्टि के बाद कोटा और बांरा जिलों के पक्षियों के नमूनों के जांच परिणामों में भी एवियन इंफ्लूऐंजा के एच5एन8 प्रकार का संक्रमण पाया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार यह वायरस एच5एन1 से कम संक्रमित है। राजस्थान के 33 जिलों में से 16 जिलों में मंगलवार सुबह तक पक्षियों की मौत का आंकड़ा 625 पहुंच गया। 11 जिलों के 86 नमूनों को जांच के लिए भेजा गया है। कृषि और पशुपालन विभाग के मंत्री लाल चंद कटारिया ने मंगलवार को स्थिति की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने बताया कि राज्य के तीन जिलो में एवियन इंफ्लूऐंजा (बर्ड फ्लू) संक्रमण पाया गया है और वायरस अन्य जगहों पर भी फैल रहा है जो चिंता का विषय है।

चिकन और अंडे वायरस से नहीं हुए प्रभावित

कटारिया ने कहा कि चिकन और अंडे वायरस के कारण प्रभावित नहीं हुए हैं, लेकिन बड़ी संख्या में कौओं की मौत को देखते हुए सावधानी बरती जा रही है। जोधपुर से भेजे गये नमूने की जांच का परिणाम निगेटिव मिले हैं लेकिन झालावाड़, कोटा और बारां जिलों में एवियन इंफ्लूऐंजा संक्रमण पाया गया है। उन्होंने बताया कि अंडों की बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहीं है क्योंकि अभी तक पोल्ट्री प्रभावित नहीं हुई है। पोल्ट्री फार्म मालिकों को अग्रिम जागरूकता बरतने के लिये सर्तक रहने को कहा गया है। कटारिया ने कहा कि राज्य सरकार प्रयोगशाला स्थापित करना चाहती है ताकि नमूनों की जांच में देरी न हो।

वैज्ञानिक विधि से मृत पक्षियों का निस्तारण सुनिश्चित किया जाए : गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश के विभिन्न राज्यों तथा प्रदेश के विभिन्न जिलों में एवियन इन्फ्लूएंजा से कौवों की मौत तथा पक्षियों के मरने की अन्य घटनाओं के मद्देनजर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि घना बर्ड सेंचुरी, विभिन्न अभयारण्य, सांभर झील सहित अन्य वेटलैंड और तमाम ऐसे स्थान जहां पक्षी अधिक पाए जाते हैं, वहां ऐसी घटनाओं पर विशेष निगरानी रखी जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी पक्षी की मौत होने पर उसका नमूने की जांच के लिए लैब में भेजा जाए और वैज्ञानिक विधि से मृत पक्षियों का निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। गहलोत मंगलवार शाम इस सम्बन्ध में पशुपालन, चिकित्सा, वन तथा अन्य सम्बन्धित विभागों के साथ समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 16 जिलों में कौवों सहित अन्य पक्षियों के मरने की घटनाएं चिंता का विषय है। इनमें से चार जिलों झालावाड़, कोटा, बारां तथा जयपुर में मृत कौवों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। गहलोत ने कहा कि फिलहाल राजस्थान में मुर्गियों में इस रोग के फैलने की कोई सूचना नहीं है। फिर भी पशुपालन विभाग के अधिकारी पोल्ट्री संचालकों को जागरूक करें और विशेष सतर्कता बरतने के लिए प्रेरित करें।

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