rajasthan crisis : राज्यपाल ने तीसरी बार लौटाई सत्र बुलाने की फाइल, गहलोत ने की मुलाकात
राजस्थान में सियासी उथल-पुथल का दौर जारी है। शह-मात के दौर बीच राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए सरकार द्वारा भेजी गयी फाइल तीसरी बार फिर वापस भेज दी है। इसके साथ ही राज्यपाल कलराज मिश्र ने सरकार से पूछा है कि वह अल्पावधि के नोटिस पर सत्र आहूत क्यों करना चाहती है, इसे स्पष्ट करे।;
जयपुर। राजस्थान में सियासी उथल-पुथल का दौर जारी है। शह-मात के दौर बीच राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए सरकार द्वारा भेजी गयी फाइल तीसरी बार फिर वापस भेज दी है। इसके साथ ही राज्यपाल कलराज मिश्र ने सरकार से पूछा है कि वह अल्पावधि के नोटिस पर सत्र आहूत क्यों करना चाहती है, इसे स्पष्ट करे। इसके साथ ही राज्यपाल ने सरकार से कहा है कि यदि उसे विश्वास मत हासिल करना है तो यह जल्दी यानी अल्पसूचना पर सत्र बुलाए जाने का कारण हो सकता है।
राजभवन द्वारा तीसरी बार फाइल लौटाए जाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को राज्यपाल से मिले। राजभवन की ओर से जारी बयान के अनुसार विधानसभा सत्र आहूत करने संबंधी सरकार की 'पत्रावली को पुनः प्रेषित करके यह निर्देशित किया गया है कि अल्प अवधि के नोटिस पर सत्र आहूत करने का क्या ठोस कारण है इसे स्पष्ट किया जाये तथा यह भी स्पष्ट किया जाए कि वर्तमान असामान्य व विषम परिस्थिति में अल्प अवधि के नोटिस पर सत्र क्यों बुलाया जा रहा है।' इसमें आगे कहा गया है कि यह भी उल्लेखनीय है कि यदि इस सत्र में राज्य सरकार को विश्वास मत हासिल करना है तो 'सोशल डिस्टेंसिंग' (एकदूसरे से दूरी बनाने) के साथ अल्प कालीन सत्र बुलाया जाना संभव है, जो कि अल्पसूचना पर सत्र बुलाये जाने का युक्तियुक्त कारण हो सकता है। राजभवन की ओर से सरकार को एक और सलाह 21 दिन के नोटिस पर सदन का नियमित मानसून सत्र बुलाने की दी गयी है। बयान के अनुसार, 'उपरोक्त परिस्थिति में उचित होगा कि राज्य सरकार वर्षाकालीन सत्र जैसे नियमित सत्र को के 21 दिन के नोटिस पर बुलाये।'
राजभवन की ओर दूसरी बार पत्रावली सरकार को लौटाने का जिक्र करते हुए कहा गया है कि राज्य सरकार ने मंगलवार को पत्रावली राजभवन को पुनः भेजी गई परन्तु सरकार द्वारा माननीय राज्यपाल महोदय द्वारा पूर्व में मांगी गई जानकारी का कोई भी स्पष्ट व सकारण उत्तर नहीं दिया गया। इसके अनुसार, 'राज्यपाल द्वारा यह अपेक्षा की गई थी कि विधानसभा के सत्र को अल्पावधि के नोटिस पर बुलाने का कोई युक्तियुक्त व तर्कसंगत कारण यदि है, तो उसे सूचित किया जाए। क्योंकि विधानसभा में सभी सदस्यों की स्वतन्त्र उपस्थिति व उनका स्वतन्त्र रूप से कार्य संपादन सुनिश्चित करना राज्यपाल का संवैधानिक कर्तव्य है। परन्तु राज्य सरकार की ओर से कारण बताने के स्थान पर यह उल्लेखित किया जा रहा है कि राज्यपाल मंत्रिमण्डल के निर्णय को मानने के लिए बाध्य हैं व निर्णय किस कारण से लिया गया है यह जानने का उनको अधिकार नहीं है।' राज्यपाल मिश्र ने कहा है कि संविधान प्रजातांत्रिक मूल्यों की आत्मा है। उन्होंने कहा है कि नियमानुसार सदन आहूत करने में काई आपत्ति नही है।
मंगलवार को हुई थी कैबिनेट की बैठक
गौरतलब है कि सीएम अशोक गहलोत के निवास पर मंगलवार को कैबिनेट बैठक हुई थी, जिसमें विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल की आपत्तियों पर चर्चा हुई थी। इस दौरान गहलोत की टीम ने अपने जवाब का मसौदा तैयार किया और 31 जुलाई को विशेष सत्र बुलाने के लिए तीसरी बार उनसे अनुरोध करते हुए राज्यपाल को पत्र भेजा।