Rajasthan Crisis : संसद का सत्र बुलाने को राजी हुए राज्यपाल, गहलोत सरकार के सामने रखी ये शर्तें
राजस्थान में सियासी खींचतान का दौर जारी है। एक तरफ जहां यहां का मामला अब कानूनी हो चला है, वहीं कांग्रेस की तरफ से इस लड़ाई को राजनीतिक तौर पर हल करने की कोशिश की जा रही है। वहीं सोमवार को यहां राजनीतिक उथल पुथल के बीच एक नया मोड़ तब आया जब राज्यपाल कलराज मिश्र विधानसभा सत्र बुलाने को राजी हो गए। राज्यपाल ने गहलोत सरकार के सामने कुछ शर्तें रखी हैं।;
जयुपर। राजस्थान में सियासी खींचतान का दौर जारी है। एक तरफ जहां यहां का मामला अब कानूनी हो चला है, वहीं कांग्रेस की तरफ से इस लड़ाई को राजनीतिक तौर पर हल करने की कोशिश की जा रही है। वहीं सोमवार को यहां राजनीतिक उथल पुथल के बीच एक नया मोड़ तब आया जब राज्यपाल कलराज मिश्र विधानसभा सत्र बुलाने को राजी हो गए। राज्यपाल ने गहलोत सरकार के सामने कुछ शर्तें रखी हैं। राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने निर्देशों में कहा कि सरकार वर्तमान परिस्थितियों में 21 दिन की समय सीमा में सत्र आहूत करें, जिससे कोरोना संक्रमण के चलते विधायकों को विधानसभा में आने से कोई परेशानी न हो। राज्यपाल ने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान शारीरिक दूरी का पूरा पालन करना होगा। इसके साथ राज्यपाल ने कहा कि सदन में बहुमत परीक्षण हो तो उसका टीवी में लाइव प्रसारण करना भी जरूरी है। राज्यपाल ने कई अन्य शर्तों का भी जिक्र किया है। मालूम हो कि गहलोत सरकार ने 31 जुलाई से सत्र को बुलाने की अनुमति मांगी है। बता दें कि राजस्थान में गहलोत सरकार राज्यपाल को सत्र बुलाने के लिए दो बार पत्र भी लिख चुकी है। नौबत यहां तक भी आ गई थी जब कांग्रेस विधायक राजभवन में सत्र बुलाने की मांग लेकर धरने पर भी बैठ गए थे।
दूसरी तरफ स्पीकर सीपी जोशी ने विधायकों के अयोग्यता नोटिस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर पिटीशन सोमवार को वापस ले ली। उनके वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि इस मामले में अभी सुनवाई की जरूरत नहीं। जरूरत पड़ने पर हम दोबारा तैयारी के साथ आएंगे। पायलट खेमे की याचिका पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
बसपा भी उतरी मैदान में
राजस्थान की इस राजनीतिक उठापटक के बीच बहुजन समाज पार्टी ने भी सोमवार को दखल दे दिया। बसपा ने अपने उन 6 विधायकों के नाम व्हिप जारी किया है, जो कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। दावा किया है कि वोटिंग में कांग्रेस के खिलाफ वोट करें, अन्यथा उन्हें अयोग्य साबित किया जा सकता है। व्हिप से इतर हाईकोर्ट में याचिका डालकर शेड्यूल के मसले को उठाया गया है।