कोरोना को देखते हुए उठाए कड़े कदम- राजस्थान के 10 शहरों में लगा नाइट कर्फ्यू, रात 9 बजे के बाद बाजार रहेंगे बंद

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच राजस्थान सरकार ने सभी नगरीय इलाकों में रात नौ बजे बाजार बंद करने तथा दो और शहरों में नाइट कर्फ्यू लगाने का फैसला किया।;

Update: 2021-04-01 06:24 GMT

जयपुर। राजस्थान में कोरोना वायरस को लेकर हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। इस बीमारी की वजह से राज्य सरकार और आम लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है। वहीं कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच राजस्थान सरकार ने सभी नगरीय इलाकों में रात नौ बजे बाजार बंद (Market Closed) करने तथा दो और शहरों में नाइट कर्फ्यू (Night Curfew) लगाने का फैसला किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा है कि संक्रमण की रोकथाम में कोई समझौता नहीं किया जाएगा और सरकार लोगों की जीवन रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी। यहां मुख्यमंत्री गहलोत की अध्यक्षता में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया।

इन शहरों में लगा नाइट कर्फ्यू

मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि राज्य के जिन नगरीय क्षेत्रों में रात्रिकालीन कर्फ्यू अब रात 11 बजे के बजाय रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक रहेगा उनमें अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, सागवाड़ा, कुशलगढ़, चित्तौड़गढ़ और आबूरोड शामिल हैं। साथ ही सभी नगरीय क्षेत्रों में अब बाजार रात 10 बजे के बजाय एक घंटे पहले 9 बजे ही बंद होंगे। बैठक में गहलोत ने राज्य को कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से बचाने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि विगत दिनों में कोरोना प्रोटोकॉल के पालन में हुई लापरवाही के कारण कोरोना के केस तेजी से बढ़े हैं। इसे देखते हुए उन्होंने कोविड गाइडलाइन का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने, नाइट कर्फ्यू का समय बढ़ाने सहित अन्य पाबंदियां पुनः लागू करने के निर्देश दिए।

संक्रमण की रोकथाम में कोई समझौता नहीं

उन्होंने कहा कि संक्रमण की रोकथाम में कोई समझौता नहीं किया जाएगा और सरकार लोगों की जीवन रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में अधिक मामले सामने आते हैं, वहां जिलाधिकारी राज्य सरकार से परामर्श कर शैक्षणिक संस्थान बंद कराने के संबंध में निर्णय कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने जिला कलक्टरों को निर्देश दिए कि वे कोरोना को लेकर अपने-अपने जिले का एक्शन प्लान बनाएं और पॉजिटिविटी रेट, मृत्यु दर, टेस्टिंग आदि की नियमित समीक्षा करें। कांटेक्ट ट्रेसिंग, माइक्रो कंटेनमेंट जोन और टेस्टिंग बढ़ाने पर विशेष जोर दें। जिला स्तर पर स्थापित नियंत्रण कक्षों को पुनः प्रभावी बनाएं। 

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