राजस्थान में अब धार्मिक आयोजनों, त्योहारों व मेलों में हिस्सा लेने के लिए कोरोना जांच होगी अनिवार्य
देश सरकार ने धार्मिक आयोजनों, त्योहारों और मेलों में भाग लेने वालों के लिए कोरोना वायरस संक्रमण की आरटी-पीसीआर जांच अनिवार्य कर दी है। प्रमुख शासन सचिव (गृह) अभय कुमार ने बुधवार रात जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का उल्लेख करते हुए बताया कि राज्य में किसी भी मेले में भाग लेने वाले इच्छुक लोगों को संबंधित जिला प्रशासन में अग्रिम पंजीकरण करना होगा।;
जयपुर। राजस्थान में कोरोना वायरस का प्रकोप कम हुआ है मगर संक्रमण का खतरा अभी भी बना हुआ है। प्रदेश में फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है मगर राज्य सरकार किसी भी तरह का जोखिम उठाना नहीं चाहती है। इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने धार्मिक आयोजनों, त्योहारों और मेलों में भाग लेने वालों के लिए (Coronavirus) कोरोना वायरस संक्रमण की आरटी-पीसीआर जांच अनिवार्य कर दी है। प्रमुख शासन सचिव (गृह) अभय कुमार ने बुधवार रात जारी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का उल्लेख करते हुए बताया कि राज्य में किसी भी मेले में भाग लेने वाले इच्छुक लोगों को संबंधित जिला प्रशासन में अग्रिम पंजीकरण करना होगा।
एसओपी की गई जारी
त्योहारों और मेलों के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए ऐहतियात के तौर पर यह एसओपी जारी की गयी है। इसके अनुसार, 'सरकार व्यापक रूप से प्रचार करेगी और अन्य सभी राज्य सरकारों को भी बताएगी की आरटी-पीसीआर जांच की रिपोर्ट (यात्रा करने की तारीख से 72 घंटे पहले की गई जांच) निगेटिव वाले श्रद्धालुओं को ही ऐसे धार्मिक आयोजनों और मेलों में (Entry Permission) प्रवेश करने की अनुमति होगी।
जांच रिपोर्ट अपने साथ या मोबाइल में रख सकते हैं
श्रद्धालु इस तरह की जांच रिपोर्ट की प्रति अपने साथ रख सकते हैं या उसे मोबाइल में भी रख सकते हैं। एसओपी के मुताबिक, केवल ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकताओं को ही ऐसे स्थानों पर तैनात किया जाए जिनका प्रतिरक्षण टीकाकरण हो चुका है। अमरनाथ यात्रा के लिए श्रृद्धालुओ का पंजीकरण होना चाहिए और इसी तरह की तर्ज पर एक चिकित्सा प्रमाणपत्र भी दिया जाना चाहिए। इसके अनुसार, हरिद्वार में 27 फरवरी से 30 अप्रैल तक के कुंभ मेले में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को भी केंद्र सरकार व उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन करना होगा। एसओपी में बताया गया है कि अधिम जोखिम वाले लोगों जैसे 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों, 10 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों और पहले से बीमारियों से ग्रस्त लोगों को धार्मिक मेलों, उत्सवों और कार्यक्रमों में नहीं जाना चाहिए।