राजस्थान सरकार ने की शुरू की ये महत्वपूर्ण योजना, जल्द ही 'वन नीति' लाने की भी तैयारियां तेज

गहलोत ने ऑनलाइन माध्यम से आयोजित 72वें वन महोत्सव एवं ‘घर-घर औषधि योजना‘ की शुरुआत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड महामारी के इस दौर में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों का महत्व फिर से साबित हुआ है।;

Update: 2021-08-02 07:37 GMT

जयपुर। राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) प्रदेश में वन संरक्षण एवं संवर्धन (Forest Conservation and Promotion) के लिए जल्द ही नयी 'वन नीति' लाएगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा कि प्रकृति का संतुलन बिगड़ने के कारण ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) , बाढ़ (Flood), सूखा (Dry), भूस्खलन (landslide) जैसी प्राकृतिक आपदाओं (natural disasters) का सामना करना पड़ रहा है। इन आपदाओं से बचाव के लिए वनों का विस्तार जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वन संरक्षण एवं संवर्धन के लिए राज्य सरकार जल्द ही नयी वन नीति लाएगी।

गहलोत ने ऑनलाइन माध्यम से आयोजित 72वें वन महोत्सव एवं 'घर-घर औषधि योजना' की शुरुआत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड महामारी (Corona Virus Pendamic) के इस दौर में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों का महत्व फिर से साबित हुआ है। उन्होने कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोगों ने औषधीय पौधों का लाभ लिया है। उन्होंने कहा कि निरोगी राजस्थान के संकल्प को साकार करने के लिए भावी पीढ़ी को भी इन औषधीय पौधों के महत्व और उपयोग की जानकारी मिलना आवश्यक है।

एक सरकारी बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2021-22 के बजट में 'घर-घर औषधीय योजना' शुरू करने की घोषणा की गई थी, जिसे आज मूर्त रूप दिया गया है। वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुखराम विश्नोई ने बताया कि योजना के तहत वन विभाग की ओर से आगामी पांच वर्षों में प्रदेश के सभी 1 करोड़ 26 लाख परिवारों को तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा के आठ-आठ औषधीय पौधे तीन बार निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस योजना पर 210 करोड़ रूपए व्यय करेगी।

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