इलाहाबाद HC ने घटाई आरोपी की सजा, बच्चे के साथ 'ओरल सेक्स' अति गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान अहम फैसला सुनाया है। दरअसल, हाईकोर्ट ने बच्चों के साथ होने वाले ओरल सेक्स को 'अति गंभीर अपराध' श्रेणी से बाहर रखा है। हालांकि यह अपराध पोस्को एक्ट में ही आएगा और एक्ट की धारा के आधार पर ही आरोपी को सजा सुनाई जा सकती है;

Update: 2021-11-23 06:22 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान अहम फैसला सुनाया है। दरअसल, हाईकोर्ट ने बच्चों के साथ होने वाले ओरल सेक्स को 'अति गंभीर अपराध' श्रेणी से बाहर रखा है। हालांकि यह अपराध पोस्को एक्ट में ही आएगा और एक्ट की धारा के आधार पर ही आरोपी को सजा सुनाई जा सकती है।  

जानकारी के मुताबिक, एक आरोपी पर एक बच्चे के साथ 'ओरल सेक्स' का आरोप था। झांसी की नीचली अदालत ने आरोपी को इस मामले में 10 साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद आरोपी के वकील ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।


आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार की बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया। बेंच ने बच्चों के साथ होने वाले ओरल सेक्स को 'अति गंभीर अपराध' में रखने से इंकार कर दिया है। मगर इसे POCSO एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय माना गया है।


मामले में आरोपी की सजा को 10 साल से घटाकर 3 साल कर दिया गया है। इसके साथ ही उस पर पांच हजार का जुर्माना लगाया है। 



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