बड़ी खबर: महंत नरेंद्र गिरि को बाघंबरी मठ में दी गई भू-समाधि, उच्च स्वर में हुए मंत्रोच्चार
प्रयागराज के बाघंबरी मठ (Prayagraj's Baghambri Math) में महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि जी (Mahant Narendra Giri) को भू-समाधि दे दी गई।;
प्रयागराज के बाघंबरी मठ (Prayagraj's Baghambri Math) में महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि जी (Mahant Narendra Giri) को भू-समाधि दे दी गई। उनकी सभी अंतिम क्रियाओं को शिष्य बलबीर गिरि (Balbir Giri) ने किया है। जब पार्थिव शरीर को समाधि के लिए बने गड्ढे में लाया गया। तो पूरी विधि विधान से प्रक्रिया को किया गया। इस दौरान तेज आवाज में सभी संतों और महंतों ने उच्च स्वर में मंत्रोच्चार किया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महंत नरेंद्र गिरि जी के पार्थिव शरीर को बाघंबरी मठ लागाय गया था और उसके बाद भू-समाधि दी गई।। मंत्रोच्चार में बड़ी संख्या में साधु-संत यहां पर मौजूद रहे। इस दौरान अलग-अलग अखाड़ों और मठों के साधु अंतिम विदाई देने पहुंचे।
अखाड़ा परिषद के लेटर हेड पर लिखा पूरा सुसाइड नोट
महंत नरेंद्र गिरि जी के सुसाइड नोट से कई खुलासे हुए और अब जांच हो रही है। जिसमें लिखा था कि इसी महीने की 13 सितंबर को भी मैंने आत्महत्या करने का फैसला किया था। लेकिन नहीं कर सका। हर सुसाइड नोट में आनंद गिरि का नाम साफ लिखा है और हस्ताक्षर भी किए हैं।। उन्होंने अपने नोट में लिखा है कि आनंद गिरि मेरी छवि खराब करना चाहता था। मेरी मौत के लिए आनंद गिरि जिम्मेदार है। उसने मेरी फोटो एडिट की और महिला के साथ दिखाई। इससे मुझे दुख हुआ और मैंने आत्महत्या करने का फैसला किया। कई जगहों पर सुसाइड नोट को काटा गया है और बाद में दोबारा लिखा गया है। अभी इस मामले की जांच हो रही है।
यह था विवाद
महंत नरेंद्र गिरि का अपने एक शिष्य आनंद गिरि से विवाद चल रहा था। जिसे सुलझाया जा रहा था। इसके बाद कुछ दिन पहले महंत नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य के बीच विवाद हो गया। शिष्य ने उनसे क्षमा मांगी थी और महंत गिरि ने भी उन्हें क्षमा कर दिया था। इसके बाद महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि से सभी प्रतिबंध हटा लिए थे। आनंद के पर संपत्ति से लेकर महिलाओं से छेड़छाड़ तक के आरोप लगे हैं।