योगी सरकार के फैसले से नेताओं को राहत नहीं, कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वालों पर दर्ज मुकदमा होगा वापस

आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार (Yogi government) ने कोरोना महामारी के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल (covid-19 Protocol) के उल्लंघन और लॉकडाउन (Lockdown) में दर्ज करीब तीन लाख मामलों को वापस लेने का आदेश दिया है।;

Update: 2021-10-27 12:07 GMT

आमआदमी को बड़ी राहत देते हुए उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार (Yogi government) ने कोरोना महामारी के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल (covid-19 Protocol) के उल्लंघन और लॉकडाउन (Lockdown) में दर्ज करीब तीन लाख मामलों को वापस लेने का आदेश दिया है। हालांकि मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों और एमएलसी के खिलाफ दर्ज मामले वापस नहीं लिए जाएंगे।

न्याय विभाग ने मंगलवार को सुनवाई वापस लेने का आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005, महामारी अधिनियम-1897, आईएमडी की धारा-188 और इससे जुड़े अन्य कम गंभीर अपराधों के तहत लगभग 3 लाख केस दर्ज किए गए हैं। वर्तमान व पूर्व जनप्रतिनिधियों को छोड़कर जिन मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया है, उन्हें वापस ले लिया जाएगा।

राज्य सरकार ने पहले घोषणा की थी कि कोरोना काल में व्यापारियों के खिलाफ प्रोटोकॉल के उल्लंघन और लॉकडाउन में दर्ज मामले वापस ले लिए जाएंगे. परंतु सरकार ने ये फैसला सभी लोगों के लिए ले लिया है। न्याय विभाग के प्रधान सचिव प्रमोद कुमार श्रीवास्तव (Pramod Kumar Srivastava) ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से इस मुद्दे पर मुख्य सचिव को पत्र लिख दिया गया है।

इसमें कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों के उल्लंघन में दर्ज मामलों की समीक्षा करने को कहा गया था। उन्होंने आगे कहा कि समीक्षा के बाद मामलों को वापस को वापस लेने को कहा गया है था। जिसे राज्य सरकार ने इस प्रक्रिया को स्वीकार करते हुए फैसले को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। राज्य के कानून मंत्री बृजेश पाठक (Brijesh Pathak) ने कहा कि राज्य के सभी जिलाधिकारियों को कोरोना काल में कोविड प्रोटोकॉल और लॉकडाउन के उल्लंघन में दर्ज मामलों को वापस लेने के निर्देश दिए गए हैं।

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