लखनऊ में डॉ. भीमराव आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र के शिलान्यास को बसपा सुप्रीमो मायावती ने बताया चुनावी स्टंट, कांग्रेस और सपा पर भी भड़कीं
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लखनऊ में डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक और सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास किया। इसके कुछ समय बाद ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर योगी सरकार को इस पर घेर लिया।;
लखनऊ में बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक और सांस्कृतिक केंद्र के शिलान्यास पर बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती भड़क गईं हैं। उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि इस सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास केवल चुनावी स्वार्थ साधने के लिए किया गया है। उन्होंने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर भी गंभीर आरोप लगाए और कहा कि दलितों व पिछड़ों का हक मारने में सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लखनऊ में डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक और सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास किया। इसके कुछ समय बाद ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर योगी सरकार को इस पर घेर लिया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर व उनके करोड़ों शोषित-पीड़ित अनुयाइयों का सत्ता के लगभग पूरे समय उपेक्षा व उत्पीड़न करते रहने के बाद अब विधानसभा चुनाव के नजदीक यूपी भाजपा सरकार द्वारा बाबा साहेब के नाम पर 'सांस्कृतिक केन्द्र' का शिलान्यास करना यह सब नाटकबाजी नहीं तो और क्या है?'
उन्होंने कहा कि बीएसपी परमपूज्य बाबा साहेब डॉक्टर आंबेडकर के नाम पर कोई केंद्र आदि बनाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन अब चुनावी स्वार्थ के लिए यह सब करना घोर छलावा है। यूपी सरकार अगर यह काम पहले कर लेती तो माननीय राष्ट्रपति जी आज इस केंद्र का शिलान्यास नहीं, बल्कि उद्घाटन कर रहे होते तो यह बेहतर होता।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि वैसे इस प्रकार के छलावे व नाटकबाजी के मामले में चाहे बीजेपी की सरकार हो या सपा अथवा कांग्रेस आदि की, कोई किसी से कम नहीं, बल्कि दलितों व पिछड़ों आदि का हक मारने व उन पर अन्याय-अत्याचार आदि के मामले में वे एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं, जो सर्वविदित है। इसी का परिणाम है कि दलित व पिछड़ों के लिए आरक्षित लाखों सरकारी पद अभी भी खाली पड़े है। उन्होंने कहा कि संतों, गुरुओं व महापुरुषों के नाम पर यूपी में बीएसपी सरकार द्वारा निर्मित विश्वस्तरीय भव्य स्थलों व पार्कों आदि की घोर उपेक्षा पिछले सपा शासनकाल से ही लगातार जारी है, जो अति-निन्दनीय है।