UP में कांवड़ यात्रा को लेकर भड़के ओवैसी पर डिप्टी सीएम मौर्य का पलटवार, बोले- उनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी आए दिन जहरीले ट्वीट करते हैं, लेकिन इससे न तो सरकार की सेहत पर कोई प्रभाव पड़ता है और न ही...;
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) पर कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) को लेकर देकर उनके बयान पर तीखा पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि ओवैसी का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है। ओवैसी समाज में बंटवारा लाना चाहते हैं ताकि उनकी राजनीति (Politics) आगे बढ़ सके। उन्होंने एआईएमआईएम प्रमुख पर तीखे प्रहार के साथ ही उन्हें नसीहत भी दे डाली है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी आए दिन जहरीले ट्वीट करते हैं, लेकिन इससे न तो सरकार की सेहत पर कोई प्रभाव पड़ता है और न ही समाज की सेहत पर कोई असर पड़ता है। जहरीले ट्वीट से समाज में बदलाव भी नहीं आएगा।
उन्होंने कहा कि एआइएमआईएम के मुखिया आए दिन जो जहर उगलने का काम करते हैं, वो समाज को बांटने का काम करते हैं। वोट बैंक बढ़ाने के लिए चर्चा में आने के लिए जहरीले ट्वीट देते रहते हैं। उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी को नसीहत दी कि समाज को बांटने के प्रयास से बचना चाहिए।
डिप्टी सीएम मौर्य ने आगे कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी में डबल इंजन सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबको सम्मान, सबको स्थान देने का काम कर रही है। सभी वर्ग के लोगों के विकास के लिए कार्य कर रही है। यूपी सरकार ने आवास योजना, जल योजना, मुफ्त राशन योजना समेत तमाम योजनाओं में बिना किसी भेदभाव के हर वर्ग के व्यक्ति को लाभ प्रदान किया। गरीब वर्ग हमारे साथ है और सरकार गरीबों के साथ है। उन्होंने सवाल पूछा कि गरीबों के लिए एआईएमआईएम के पास कोई योजना है तो बता दें। मौर्य ने कहा कि ओवैसी कांवड़ यात्रा पर सवाल उठा रहे हैं, जो दर्शाता है कि उनका मानसिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया है।
असदुद्दीन औवेसी ने इस तरह किया था प्रहार
बता दें कि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कांवड़ यात्रा पर सवाल उठाए थे। उन्होंने लिखा था कि पुलिस ने पंखुड़ियां बौछार कीं, कांवड़ियों का झंडों से "इस्तक़बाल" किया, उनके पैरों पर लोशन लगाया और उनके साथ इंतेहाई शफ़क़त से पेश आए। दिल्ली में लोहारों को हटाने की बात की ताकि कांवड़िया नाराज न हो जाएं। उत्तर प्रदेश हुकूमत ने यात्रा के रास्तों पर गोश्त पर पाबंदी लगा दी। यह कौन सी संस्कृति है। क्या यह रेवड़ी संस्कृति नहीं है।
उन्होंने आगे लिखा कि कांवड़ियों के जज़्बात इतने कमजोर हैं कि वे किसी मुसलमान पुलिस अहलकार का नाम भी बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह भेद-भाव क्यों? यकसानियत नहीं होनी चाहिए? एक से नफ़रत और दूसरों से मोहब्बत क्यों? एक मज़हब के लिए ट्रैफिक डाइवर्ट और दूसरे के लिए बुलडोज़र क्यों? अगर कांवड़ियों पर फूल बरसा रहे हैं, तो कम से कम हमारे घर तो मत तोड़िए।