अमरोहा कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, बेटी से दुष्कर्म करने वाले पिता को छह दिन में सुना दी उम्रकैद की सजा, जुर्माना भी देना होगा

डिडौली कोतवाली क्षेत्र के एक गांव के रहने वाला 50 वर्षीय व्यक्ति ईट-भट्ठा पर मजदूरी करता था। करीब आठ महीने से वो अपनी 14 वर्षीय बेटी के साथ दुष्कर्म कर रहा था। कोर्ट ने छह दिन में उसे दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई है। जानिये त्वरित फैसले के पीछे की वजह...;

Update: 2022-06-28 11:53 GMT

देश के तमाम राज्यों से ऐसी खबरे सामने आती रहती हैं, जहां दुष्कर्म पीड़िताओं को केस दर्ज कराने के लिए दर-दर की ठोकरे खानी पड़ती है। कई पीड़ितों को पुलिस के सवालों से शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है तो कई जगह आरोपी दबंग जान से मारने की धमकी देने लगते हैं। हालांकि पुलिस निष्ठा से काम करती है और ऐसे मजबूत सबूत सामने रखती है कि कोर्ट भी फैसला करने में देरी नहीं लगाती। ऐसा ही मामला अमरोहा से सामने आया है। यहां की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट प्रथम) अवधेश कुमार की अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए महज छह दिन में सुनवाई करते हुए आरोपी को उम्रकैद की सजा सुना दी है।

खास बात है कि अदालत ने जिस दोषी करार दिया है, वो पीड़िता का ही सगा पिता है। पीड़िता सात महीने की गर्भवती है। कोर्ट ने दोषी को 53 हजार रुपये की जुर्माना राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है। इसकी आधी राशि पीड़िता को दी जाएगी। गिरफ्तारी के बाद से ही दोषी पिता जेल में बंद है और उसे जमानत भी नहीं मिल सकी थी कि उसे उम्रकैद की सजा का ही ऐलान हो गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डिडौली कोतवाली क्षेत्र के एक गांव के रहने वाला 50 वर्षीय व्यक्ति ईट-भट्ठा पर मजदूरी करता था। करीब आठ महीने पहले परिजनों की गैरमौजूदगी में उसने अपनी 14 वर्षीय बेटी के साथ दुष्कर्म किया। उसने धमकी दी कि अगर किसी को बताया तो जान से मार देगा। जब बच्ची ने डर से किसी को कुछ नहीं बताया तो आरोपी के हौसले ज्यादा बढ़ गए। इसके बाद तो जब भी मासूम अकेली मिलती, उसका कलयुगी पिता उसे अपनी हवस का शिकार बना लेता।

उसकी हैवानियत तब सामने आई, जब 11 जून को बच्ची की अचानक तबीयत बिगड़ गई। उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। यहां अल्ट्रासाउंड किया गया तो पता चला कि बच्ची सात महीने से गर्भवती है। यह सुनते ही परिजनों के होश उड़ गए। पूछे जाने पर पीड़िता ने रोते हुए आपबीती सुना दी। यह सुनते ही परिजनों के पांव तले की जमीन निकल गई। 14 जून को पीड़िता का भाई उसे लेकर पुलिस के पास पहुंचा और अपने आरोपी पिता के खिलाफ शिकायत दे दी।

पुलिस ने आरोपी को उसी दिन गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। डिडौली कोतवाली के जांच अधिकारी सुक्रमपाल सिंह राणा ने 22 जून को अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। यह मुकदमा 23 जून को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष (पॉक्सो एक्ट प्रथम) अवधेश कुमार सिंह की अदालत में पहुंचा। पहले ही दिन न्यायालय ने मामले में सुनवाई कर मुकदमे को ट्रायल पर ले लिया।

माननीय अदालत ने पीड़िता, उसके भाई, मां, महिला चिकित्सक, रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर, एक स्कूल के प्रधानाचार्य, महिला कांस्टेबल ने संबंधित न्यायालय के सामने अपनी गवाही दी। न्यायाधीश ने अभियोजन और आरोपी पक्ष को सुना। अभियोजन पक्ष की तरफ से विशेष लोक अभियोजक बसंत सिंह सैनी ने जोरदार पैरवी की। संबंधित न्यायालय ने मंगलवार का दिन फैसला के लिए सुरक्षित रख लिया था। आज अदालत ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए आरोपी पिता को दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुना दी। साथ ही दोषी पिता पर 53 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की आधी धनराशि पीड़िता को सौंपने के आदेश दिए हैं।

विशेष लोक अभियोजक बसंत सिंह सैनी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में यह पहला मामला है, जहां छह दिन के भीतर आरोपी को दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। उन्होंने कहा कि यह फैसला बेटी और महिला विरोधी अपराध करने वालों के लिए बड़ा संदेश जाएगा। 

Tags:    

Similar News