प्रतापगढ़ का मकबूल हत्याकांड फिर सुर्खियों में, 12 पुलिसकर्मियों पर दर्ज होगा केस
बाबूतारा गांव निवासी रमजान खान ने सीजेएम कोर्ट में वाद दायर कर आरोप लगाया था कि 19-20 सितंबर 2020 को पुलिसकर्मी जबरन घर में घुस गए और उनके पिता की तब तक पिटाई की, जब तक उनकी मौके पर ही मौत नहीं हो गई;
प्रतापगढ़ जिले के बाबूतारा गांव के रहने वाले बुजुर्ग मकबूल खान की हत्या का मामला एक बार फिर से सूर्खियों में है। जिला अदालत ने इस मामले में तीन दरोगा और नौ सिपाहियों समेत कुल 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं। जिला अदालत मामले की जांच पर भी नजर रखेगी।
जिले के लालगंज इलाके के बाबूतारा गांव निवासी रमजान खान ने सीजेएम कोर्ट में वाद दायर कर आरोप लगाया था कि 19-20 सितंबर 2020 को तत्कालीन सांगीपुर एसओ प्रमोद सिंह, दरोगा रामअधार यादव, गणेशदत्त पटेल, सिपाही राममिलन, श्रवण कुमार, रविशंकर, रामनिवास और पांच अन्य सिपाही जबरन उनके घर में घुस गए और उसके पिता मकबूल की पिटाई करनी शुरू कर दी। पुलिस की यह टीम चोरों की तलाश करते हुए उनके गांव तक पहुंची थी। उन्होंने कई बार पुलिस से कहा कि चोरी की वारदातों से उनका कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। आरोप है कि पुलिस कर्मियों ने इतनी बर्बरता से मकबूल की पिटाई की, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मकबूल का लीवर फटने की बात सामने आई तो मामला और तूल पकड़ गया। स्वजनों ने मकबूल का शव दफन करने से इनकार कर दिया। आक्रोशित लोगों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। अधिकारियों ने जब मामला बिगड़ते देखा तो भरोसा दिलाया कि आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और मामले की न्यायिक जांच समेत सभी मांग पूरी की जाएंगी। अधिकारियों के इस भरोसे पर मृतक के परिजन शांत हुए थे, तब कहीं जाकर भारी पुलिस सुरक्षा के बीच घर से करीब तीन किलोमीटर दूर तिलौरी गांव स्थित कब्रिस्तान में शव दफन हुआ था। अब सीजेएम कमल सिंह की कोर्ट ने एसओ सांगीपुर से सात दिन के अंदर सभी आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।