Pan Card बनवाते ही ई-रिक्शा चालक को I.T ने भेजा 3.50 करोड़ का नोटिस, सालाना टर्न ओवर निकला 43 करोड़!

कुछ समय पहले ही ई रिक्शा चालक ने बनवाया था पैन कार्ड। आयकर विभाग से साढ़े तीन करोड़ रुपये के टैक्स का कॉल आते ही सन्न रह गया रिक्शा चालक। पैन कार्ड का इस्तेमाल कर रिक्शा चालक के नाम पर ठग ने एक साल में कर लिया 43 करोड़ रुपये का व्यापार।;

Update: 2021-10-25 09:07 GMT

उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक रिक्शा चालक को पैन कार्ड (Pan Card) बनवाना इतना भारी पड़ गया। इसकी वजह पैन कार्ड बनने के कुछ दिन बाद ही (Mathura Rikshaw Puller) रिक्शा चालक को आयकर विभाग से करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये का नोटिस (Income Tax Notice) मिलना है। यह नोटिस देखते ही रिक्शा चालक घबरा गया। उसने आयकर विभाग अधिकारियों को इस संबंध में जानकारी दी। इस पर उन्होंने रिक्शा चालक को थाने में शिकायत करने की सलाह दी है। इसके साथ ही पीड़ित ने सोशल मीडिया पर अपनी एक वीडियो डालकर अपनी व्यथा सभी को बताई। वहीं पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित बाकलपुर क्षेत्र की अमर कॉलोनी में प्रताप उपाध्याय अपने परिवार के साथ रहते हैं। वह यहां ई रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। हाल ही में प्रताप उपाध्याय को इनकम टैक्स विभाग से एक कॉल आया। साथ ही उन्हें नोटिस सौंपा गया। इसमें उन्हें बताया गया कि आप को 3,47,54,896 करोड़ का टैक्स भरना है। यह सुनते ही प्रताप दंग रह गया। उसने अधिकारियों को बताया कि वह मामूली सा आदमी है और ई रिक्शा चलाता है। इस पर आईटी प्रभारियों ने बताया किसी ने तुम्हारें पैन कार्ड का इस्तेमाल कर जीएसटी बनवाया है। उक्त शख्स ने एक साल में 43.44 करोड़ रुपये की कमाई की है। जिसका टैक्स 3,47,54,896 करोड़ रुपये नहीं भरा गया है। प्रताप उपाध्याय के जानकारी देने पर इनकम टैक्स अधिकारियों ने उन्हें पुलिस से शिकायत करने की सलाह दी।

पुलिस के साथ ही वीडियो बनाकर डाला

प्रताप उपाध्याय ने हाई वे थाने पहुंचकर मामले की शिकायत पुलिस से की। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि प्रताप की शिकायत पर अभी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। हालांकि इसकी जांच की जा रही है। इसके साथ ही प्रताप ने अपने नाम पर हुए करोड़ों रुपये के फ्रॉड (Fraud) को लेकर एक वीडियो भी बनाया है। जिसे उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है।

पैन कार्ड में झोल कर प्रताप के नाम हुआ फ्रॉड

पीड़ित ने बताया कि कुछ समय पहले बैंक ने उससे अकाउंट में पैन कार्ड लगाने के लिए कहा था। इस पर प्रताप ने बाकलपुर में जन सुविधा केंद्र पर पैन कार्ड बनवाने के लिए आवेदन किया था। यहां से उसे दो से ढ़ाई महीनों तक चक्कर कटाये गये। इसके बाद जन सुविधा केंद्र चलाने वाले संजय ने उसे असली पैन कार्ड की उसे पैन कार्ड की कलर कॉपी दे दी। प्रताप के पढ़े लिखे न होने की वजह से उसे इसका पता नहीं लग सका। वह कॉपी को ही ऑरजिनल पैन कार्ड समझकर अपने पास रखकर घुमता रहा। आईटी विभाग द्वारा साढ़े तीन करोड़ रुपये का टैक्स भरने के लिए कॉल आने पर उसे अपने नाम पर फ्रॉड होने की जानकारी लगी। जिसके बाद पीड़ित ने मामले की शिकायत पुलिस को दी है। 

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