Mohammad Zubair: मोहम्मद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त पांच दिन की अंतरिम जमानत, सीतापुर जेल से रिहा होने पर सस्पेंस बरकरार
ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर जुबैर मोहम्मद पर ट्वीटर के सहारे धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप है। सीतापुर कोर्ट ने बीते गुरुवार को जुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को पांच दिन की अंतरिम जमानत दे दी है। पढ़िये रिपोर्ट...;
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सीतापुर (Sitapur) में दर्ज मामले में दिल्ली के पत्रकार जुबैर मोहम्मद (Journalist Zubair Mohammad) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को सशर्त पांच दिन की अंतरिम जमानत (Interim Bail) दी है। शर्त के मुताबिक जुबैर मामले से जुड़ा कोई भी ट्वीट नहीं करेंगे। जुबैर को बीते गुरुवार को ही सीतापुर कोर्ट (Sitapur Court) ने जुबैर मोहम्मद को 14 दिन की न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में भेजा है। ऐसे में अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि जुबैर को जेल में रहना होगा या बाहर आएंगे। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विस्तृत आदेश कुछ समय बाद ही अपलोड कर दिया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर जुबैर मोहम्मद पर ट्वीटर के सहारे धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप है। सीतापुर के खैराबाद थाने में राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना के जिलाध्यक्ष भगवान शरन की ओर से जुबैर मोहम्मद के खिलाफ केस दर्ज कराया था। दिल्ली में भी उसके खिलाफ मामला दर्ज है। जुबैर मोहम्मद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाई थी, लेकिन राहत नहीं हुई। इसके बाद जुबैर मोहम्मद ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर जमानत की मांग की।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आज जुबैर मोहम्मद को राहत देते हुए पांच दिन की अंतरिम जमानत दे दी। पुलिस ने 27 जून को जुबैर को गिरफ्तार किया था। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश केवल सीतापुर वाले केस पर आया है। इसका दिल्ली वाले केस से कोई लेना-देना नहीं है।
सीतापुर पुलिस ने जुबैर मोहम्मद को कोर्ट में पेश किया था। सीतापुर कोर्ट ने जुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ऐसे में अभी स्पष्ट नहीं है कि वे अभी रिहा हो पांएगे या नहीं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जुबैर के खिलाफ दिल्ली में भी एफआईआर दर्ज है। दिल्ली आकर उन्हें सरेंडर करना होगा। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कुछ समय बाद विस्तृत आदेश को अपलोड जाएगा। इसके बाद पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।