यूपी में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, योगी सरकार ने दी यह दलील
उत्तर प्रदेश में जुमे की नमाज के बाद भड़की हिंसा के आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर चलने की कार्रवाई को रोकने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। पढ़िये पूरी रिपोर्ट...;
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में दस जून को जुमे की नमाज (Friday Prayer) के बाद कई शहरों में भड़की हिंसा के आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर (Bulldozer Action) चलने की कार्रवाई को रोकने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज सुनवाई हुई। जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिकारियों को कार्रवाई करने से रोकने के लिए व्यापक आदेश पारित नहीं हो सकता। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने पक्षकारों को मामले में दलीलें पूरी करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक याचिकाकर्ता जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से एडवोकेट दुष्यंत दवे ने जस्टिस बी आर गंवाई की बेंच के समक्ष आज इस दलील से शुरुआत की कि यह मसला लगातार गंभीर होता जा रहा है, अपराध के आरोपी को टारगेट करने के लिए और खासकर समुदाय विशेष के खिलाफ बुलडोजर को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह चलन देश के अन्य राज्यों में फैल रहा है। अगर इस पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई तो रूल ऑफ लॉ यानी कानून का शासन प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण पर कार्रवाई करना सिविक एजेंसियों का काम है, लेकिन कुछ राज्य में पुलिस अधिकारी यह काम कर रहे हैं।
उनकी दलील के जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अन्य समुदाय जैसा कोई शब्द नहीं है। भारत के हर समुदाय का शख्स भारतीय नागरिक है और बुलडोजर कार्रवाई नियमों के मुताबिक हो रही है। उसे समुदाय विशेष से जोड़कर बेवजह सनसनीखेज बनाया जा रहा है। सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि सभी को कानून का पालन करना होगा, इसमें कोई विवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने सवाल किया की यदि नगरपालिका कानून के तहत कोई निर्माण अनधिकृत है तो क्या अधिकारियों को रोकने के लिए आदेश पारित किया जा सकता है! पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्यों में ऐसी कार्रवाई को रोकने के लिए व्यापक आदेश पारित नहीं कर सकते।
गुजरात और मध्य प्रदेश से मांगा जवाब
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलीलें रखते हुए कहा कि यूपी सरकार के अधिकारियों ने जवाब दायर किया है कि प्रक्रिया का पालन किया गया था। तमाम प्रक्रिया के तहत नोटिस जारी किए गए थे। अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर की कार्रवाई पहले से चल रही है। याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे ने गुजरात और मध्य प्रदेश में भी गैरकानूनी तरीके से बुलडोजर कार्रवाई होने के बारे में बताया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात और मध्य प्रदेश सरकार से आठ अगस्त तक जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई दस अगस्त को होगी।