UP Budget Session 2021: विपक्ष के वॉकआउट पर सीएम योगी बोले- उनमें सच सुनने की हिम्मत नहीं..., किसानों को दिया यह संदेश

बजट सत्र के दूसरे दिन आज भी विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। हंगामे के चलते दो बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। विपक्ष बजट सत्र की कार्यवाही स्थगित कर किसानों के मुद्दे पर चर्चा करना चाहता था, साथ ही किसान आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने की भी मांग भी हो रही थी। जब अनुमति नहीं मिली तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने सदन से वॉकआउट कर दिया। सीएम योगी ने सदन में विपक्ष पर तीखा प्रहार किया। वे कृषि कानूनों के साथ ही किसान आंदोलन पर भी बोले। क्या कहा सीएम योगी ने, इस रिपोर्ट में पढ़िये...;

Update: 2021-02-19 07:39 GMT

बजट सत्र के दूसरे दिन भी विपक्ष का हंगामा जारी है। अभी तक दो बार सदन को स्थगित किया जा चुका है। विपक्ष जहां किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने की मांग उठाई है, वहीं किसान आंदोलन के दौरान जिनकी मौत हुई है, उन सभी को शहीद का दर्जा देने पर भी अड़ा रहा। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने आज भी सदन से वॉकआउट कर दिया। 

सीएम योगी ने कहा कि कोरोना काल में जब देशभर की चीनी मीलें बंद थीं, उस वक्त भी हमने उत्तर प्रदेश में एक भी चीनी मील बंद नहीं होने दी। किसानों के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जितना किया है, उतना किसी ने नहीं किया। देश के 12 करोड़ किसानों को अगर सम्मान निधि देने का काम किसी ने किया है तो वह भी प्रधानमंत्री मोदीजी ने किया है। तीनों कृषि कानून भी किसानों के हित में है। 

उन्होंने कहा कि कृषि कानून किसान को अपने हिसाब से फसल बेचने, टैक्स से छूट की सुविधा देता है, लेकिन कृषि दलालों को यह बात हजम नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि एमएसपी का मुद्दा उठाया जा रहा है, एमएसपी अगर किसी ने सही मायने में किसानों को दी है तो वह प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने दी है। यूपी में भी किसानों की जितनी फसल एमएसपी पर खरीदी गई है, उससे पहले कभी उतनी खरीद नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हमने भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया। इस अभियान में जो भूमाफिया पकड़े गए, उसमें ज्यादातर पहले की सत्ता के साथ किसानों की जमीन पर कब्जा किए थे। सीएम ने कहा कि विपक्ष सच सुनना नहीं चाहता, इसलिए भाग खड़ा हुआ। 

सीएम योगी ने आगे कहा कि कुछ लोग किसान आंदोलन की आड़ में अराजकता फैलाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि इन कृषि कानूनों से किसी भी किसान का अहित नहीं होगा। यह तीनों कानून किसानों के हित में है। इसके बावजूद कुछ लोग किसानों को गुमराह करने में लगे हैं। सीएम ने कहा कि ऐसे लोग कामयाब नहीं होंगे। किसानों के हित के लिए हमारी पूरी प्रतिबद्धता है। उन्होंने किसानों को ऐसे लोगों से सचेत रहने का संदेश दिया, जिनका मकसद किसान आंदोलन की आड़ में केवल अराजकता फैलाना है। 

इससे पूर्व नेता विपक्ष रामगोविंद चौधरी ने भी विधानसभा अध्यक्ष से किसानों के मुद्दे पर चर्चा की अनुमति मांगी थी। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में किसान लंबे समय से आंदोलनरत हैं। भाजपा सरकार उनकी समस्या सुनने की बजाय आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है। किसानों पर झूठे केस दर्ज किए जा रहे हैं। उनके ट्रेक्टरों में डीजल न भरने के आदेश देकर किसानों को प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने किसानों के मुद्दे पर चर्चा की मांग की। इससे पहले हंगामे को देखते हुए सदन को 30 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया। जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो हंगामे के चलते 20 मिनट के लिए फिर से सदन स्थगित कर दिया गया। विपक्ष ने मांग उठाई कि जिन किसानों की मौत इस आंदोलन में हुई है, उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाए। सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने सदन से वॉकआउट कर दिया।  

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस नेता मसूद अख्तर ने कहा कि हमने किसानों के मुद्दे को लेकर सदन में बात रखी थी। खाद, बिजली से लेकर सब महंगा हो गया है। गन्ने का भुगतान नहीं बढ़ाया गया है। हमारी मांग थी कि सदन की कार्यवाही को रोककर इन मुद्दों पर चर्चा कराई जाए। सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है, इसलिए हमने वॉकआउट किया। 

पहले दिन भी हुआ था हंगामा

विपक्ष ने पहले दिन भी राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन के भीतर और बाहर जमकर हंगामा किया था। विपक्ष का आरोप है कि सरकार आम जनता और किसानों से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करने से बचना चाहती है। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने तो विधान भवन के भीतर ट्रैक्टर और गन्ने ले जाने का प्रयास किया था, जिसे सुरक्षाकर्मियों ने असफल कर दिया था। इसके बाद सपा नेता भड़क गए थे और सरकार पर उनकी आवाज को भी दबाने का आरोप लगाया था। सपा ने सदन के भीतर तख्तियां लहराकर योगी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी। कांग्रेसी नेताओं ने भी नारेबाजी करते हुए सबसे पहले सदन से वॉकआउट किया था, जिसके बाद बसपा और सपा के नेता भी सदन से वॉकआउट कर गए थे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोपहर को जब दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो नेता विपक्ष राज्यपाल का अभिभाषण दोबारा से पढ़े जाने पर अड़ गए थे। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही को आज सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित किया गया था, लेकिन आज की कार्यवाही भी हंगामे के कारण सुचारू रूप से नहीं चल पाई। सत्ता पक्ष के नेताओं का आरोप है कि विपक्ष किसी बात को सुनना ही नहीं चाहता। उसका मकसद केवल हंगामा करना है। 

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