पूर्व विधायक का बड़ा आरोप - CM हाउस में चला तबादलों का सौदा

करैरा क्षेत्र के पूर्व विधायक जसवंत जाटव ने 'हरिभूमि-INH' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ बातचीत में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। पढ़िए पूरी खबर-;

Update: 2020-06-04 16:02 GMT

भोपाल। कमलनाथ खुद को मप्र का मुख्यमंत्री नहीं समझ रहे थे, वे छिंदवाड़ा के सीएम की भूमिका में थे। हमारे विधानसभा क्षेत्र के लिए एक रुपया भी नहीं दिया। सत्ता और संगठन में हमारे नेता सिंधिया की भी सुनवाई नहीं हो रही थी। जनता से किए वचन पत्र के वादे पूरे नहीं हो रहे थे। सीएम हाउस से तबादलों का सौदा किया जा रहा था। इसलिए हमने मिलकर यह सरकार गिराई और पार्टी भी छोड़ी थी। यह कहना है आगामी उपचुनाव में करैरा विस सीट से भाजपा के प्रत्याशी माने जाने वाले पूर्व विधायक जसवंत जाटव का। उन्होंने 'हरिभूमि' के सहयोगी न्यूज चैनल 'आईएनएच' के खास कार्यक्रम 'अदालत में बागी' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से ये बातें कहीं।

सवाल : आप पहली बार के एमएलए थे, मंत्री पद के दावेदार भी नहीं थे, फिर ऐसा क्या हो गया कि इस्तीफा देना पड़ा?

जवाब : यह सिर्फ एक एमएलए का मामला नहीं था, पूरे प्रदेश की जनता का मामला था। जो वादे करके कांग्रेस सरकार सत्ता में आई, सत्ता में आने के बाद उन्हें पूरा करने पर ध्यान नहीं दिया। यह मप्र की जनता के साथ छलावा था। राहुल गांधी ने वादा किया था, कांग्रेस सरकार बनने के बाद 10 दिनों में किसानों का 2 लाख रुपए तक का कर्जा माफ किया जाएगा। जबकि एक लाख तक का कर्जा अभी माफ नहीं हुआ। कर्जमाफी के जिन किसानों को प्रमाण पत्र बांटे थे, वे बैंकों में भटक रहे हैं। बेरोजगारी भत्ता किसी को नहीं दिया, कन्यादान योजना में जो वादा किया था, किसी को राशि नहीं मिली, अतिथि विद्वानों की मांग पर सिंधिया ने यही तो कहा था कि हम सरकार से बात करेंगे, अगर सरकार ने मांग पूरी नहीं की तो आपके साथ सड़कों पर उतरेंगे। कमलनाथ ने कभी अपने को प्रदेश का मुखिया नहीं समझा, वे छिंदवाड़ा के मुखिया की भूमिका में ही रहे। इन कारणों से इस्तीफा देना पड़ा।

सवाल : अगर आपकी मप्र में सुनवाई नहीं हो रही थी, तो राहुल-सोनिया के पास जाते, इसके उलटे मोदी-शाह के दरबार में चले गए?

जवाब : पूरे प्रदेश में ग्वालियर-चंबल अंचल में सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस को मिलीं। क्षेत्र की जनता ने सिंधिया के नेतृत्व को स्वीकार कर कांग्रेस के विधायक जिताए। लेकिन बाद में उनकी ही सुनवाई नहीं हुई। राष्ट्रीय नेताओं से भी सिंधिया ने अपील की थी, प्रदेश के नेताओं से भी बात की, लेकिन वे सुनने तैयार नहीं थे, उनका घमंड ले डूबा।

सवाल : 15 सालों तक आप कहते रहे भाजपा ने प्रदेश को डुबा दिया, भाषण भरे पड़े हैं। अब उन्हीं के साथ चले गए, जनता से क्या कहेंगे?

जवाब : हमने तुलनात्मक रूप से दोनों पार्टियों को देखा और समझा, वर्तमान सीएम शिवराज और तत्कालीन सीएम कमलनाथ के बीच तुलना करते हैं, तो देखते हैं कि कमलनाथ पूरी तरह से फेल्योर रहे हैं। केवल एक ही काम चल रहा था तबादले का, सीएम हाउस में अधिकारियों की ट्रांसफर - पोस्टिंग का सौदा हो रहा था, लेकिन तबादलों को लेकर विधायकों की कोई बात सुनी नहीं जा रही थी। तब मप्र की जनता के हित में किसान विरोधी सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिया। केंद्र में भाजपा की सरकार थी, इसलिए भाजपा में गए। अब दोनों जगह एक ही सरकार होने से प्रदेश का विकास होगा।

सवाल : आपका आरोप है कि सीएम हाउस से तबादलों का सौदा हो रहा था, यह सौदा कौन कर रहा था?

जवाब : इसमें सीएम हाउस के लोग, सीएम के लोग इन्वॉल्व थे, बीच के लोग थे, जो सौदा कर रहे थे। कमलनाथ केंद्र के बड़े नेता रहे हैं, लेकिन वे मप्र की राजनीति को समझ नहीं पाए। जिन लोगों के चक्कर में पड़ गए, उन्हीं ने उन्हें डुबो दिया।

सवाल : कांग्रेस सरकार फेल होने के लिए आप किसे ज्यादा जिम्मेदार मानते हैं, कमलनाथ को या दिग्विजय सिंह को ?

जवाब : संवैधानिक प्रक्रिया में मुख्यमंत्री ही मुखिया होता है। निर्णय उन्हें ही करना था, इसलिए मैं कमलनाथ को ही जिम्मेदार मानता हूं। यह उनकी नासमझी ही थी, कि वे दूसरों की बातों में उलझ गए।

सवाल : सबसे पहले आपने आरोप लगाया था कि भाजपा प्रलोभन दे रही है, बाद में उसी पार्टी में चले गए क्या प्रलोभन बढ़ा दिया गया था, या और कोई बात थी?

जवाब : मैंने एक बार किसी व्यक्ति के द्वारा प्रलोभन देने की बात कही गई थी, तब मैंने इसे स्वीकार नहीं किया था। बाद में जब गए तब बात प्रलोभन की नहीं रही, सम्मान की रही। हमारे नेता को कांग्रेस ने सम्मान नहीं दिया, इसलिए सरकार गिरी। क्षेत्र के काम भी नहीं हो रहे थे, मेरे विधानसभा क्षेत्र के लिए 150 करोड़ रुपए की कार्ययोजना बनाकर सीएम को दी गई थी, लेकिन स्वीकृति नहीं दी गई। अब उसी कार्ययोजना को पुन: बनाकर वर्तमान सीएम को दिया है। उन्होने जल्द काम शुरू करने का आश्वासन दिया है।

सवाल : आप अपने नेता के सम्मान की बात कह रहे हैं, उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया, राष्ट्रीय महासचिव बनाया, लोकसभा का टिकट भी दिया, वे सीट सुरक्षित नहीं रख पाए?

जवाब : हम उनकी सेवाएं प्रदेश के अंदर लेना चाहते थे, चाहे सरकार के रूप में या फिर संगठन के रूप में, लेकिन यह होने नहीं दिया गया। आप ही बताएं...क्या वे प्रदेश में सेवाएं देने के लायक नहीं थे?

सवाल : आप अभी तक जिस पार्टी के विरोध में राजनीति करते रहे, अब उसी को अपनाकर कैसा लग रहा है?

जवाब : राजनैतिक दल व्यक्ति विशेष के नहीं होते, मुझे भाजपा की सदस्यता लेने के बाद बहुत अच्छा लग रहा है। यह संगठनात्मक पार्टी है, यहां अनुशासन है। मोदी सरकार का छह साल का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। देश व समाज के हित में बड़े फैसले लिए गए हैं। दुनिया की ये सबसे बड़ी पार्टी है। 


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