ऐदल सिंह कंसाना बोले- कोई सरपंच का पद नहीं छोड़ना चाहता, हमने विधायक का पद छोड़ दिया, इस पीड़ा के जिम्मेदार कमलनाथ हैं...

कमलनाथ ने छठवीं से लेकर सातवीं बार तक के विधायकों की उपेक्षा करके दूसरी बार के विधायकों को मंत्री बनाया और सीधे कैबिनेट का दर्जा दे दिया। उनके पास न हमारी बात सुनने का समय था, विकास को लेकर उनकी सोच छिंदवाड़ा तक सीमित थी। कांग्रेस ने झूठे वादे करके सरकार बनाई थी, लेकिन वादे पूरे नहीं किए। ऐसे में हम जनता को क्या मुंह दिखाते, इसलिए सरकार गिरा दी। इसके जिम्मेदार मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस हाईकमान है। यह कहना है आगामी उपचुनाव में सुमावली सीट से भाजपा के प्रत्याशी माने जाने वाले पूर्व विधायक ऐदल सिंह कंसाना का। उन्होंने हरिभूमि के सहयोगी न्यूज चैनल आईएनएच के खास कार्यक्रम 'अदालत में बागी' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से ये बातें कही।;

Update: 2020-05-29 17:49 GMT

भोपाल. कमलनाथ ने छठवीं से लेकर सातवीं बार तक के विधायकों की उपेक्षा करके दूसरी बार के विधायकों को मंत्री बनाया और सीधे कैबिनेट का दर्जा दे दिया। उनके पास न हमारी बात सुनने का समय था, विकास को लेकर उनकी सोच छिंदवाड़ा तक सीमित थी। कांग्रेस ने झूठे वादे करके सरकार बनाई थी, लेकिन वादे पूरे नहीं किए। ऐसे में हम जनता को क्या मुंह दिखाते, इसलिए सरकार गिरा दी। इसके जिम्मेदार मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस हाईकमान है। यह कहना है आगामी उपचुनाव में सुमावली सीट से भाजपा के प्रत्याशी माने जाने वाले पूर्व विधायक ऐदल सिंह कंसाना का। उन्होंने हरिभूमि के सहयोगी न्यूज चैनल आईएनएच के खास कार्यक्रम 'अदालत में बागी' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से ये बातें कही।

सवाल : भाजपा में शामिल होने से पहले आपने चेतावनी दी थी कि मंत्री नहीं बनाया तो जौरा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन सरकार गिरने से पूरे प्रदेश को कीमत चुकानी पड़ गई?

जवाब : मैं चौथी बार का एमएलए था, मंत्री बनाना न बनाना एक अलग बात है, लेकिन मुरैना जिले को मेरे सीनियर विधायक होने के बावजूद मंत्रिमंडल से वंचित रखा गया। जनता को गुमराह और झूठे वादे करके सरकार बनाई गई। राहुल गांधी ने कहा था कि सरकार बनने के बाद 10 दिन में किसानों का कर्जा माफ होगा, बाद में कहा कि नहीं किया तो मुख्यमंत्री को हटा देंगे, लेकिन 15 महीने तक न कर्जा माफ हुआ न मुख्यमंत्री हटे। पार्टी छोड़ने से पहले मैंने समय समय पर कमलनाथ को बताया कि पार्टी के घोषणा पत्र पर अमल नहीं किया तो जनता नाराज हो जाएगी। उन्होंने हमें सुनने का मौका नहीं दिया, तो पार्टी छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा। अगर चार-पांच साल हो जाते तो फिर जनता को हम क्या मुंह दिखाते?

सवाल : आपने पार्टी जनता के हक के संदर्भ में छोड़ी या अपनी वरिष्ठता को न्याय न मिलने के कारण?

जवाब : दोनों ही कारण हैं। हमारे जिले में छह में से छह विधायक कांग्रेस के ही जीते, मैं सीनियर था, लेकिन पूरे जिले से एक को भी मंत्री नहीं बनाया। हमारे संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटों में से सात विधायक कांग्रेस के जीते। इसके बावजूद मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं दिया।

सवाल : आपको मंत्री नहीं बनाने में सिंधिया को सहमति न होना बताया जा रहा था, लेकिन आप उनके साथ ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए?

जवाब :  यह सच्चाई नहीं है। हमें मंत्री बनने से सिंधिया ने नहीं रोका। दिग्विजय सिंह का मैं सम्मान करता हूं, वे मेरे आदरणीय हैं। दिग्विजय ने मुझे मंत्री बनाने का प्रस्ताव कमलनाथ को दिया था, लेकिन दिग्विजय सिंह की नहीं चली, कमलनाथ ने मंत्री बनने नहीं दिया।

सवाल : कमलनाथ सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि दिग्विजय सिंह सरकार चला रहे हैं, आपने कहा दिग्विजय सिंह की नहीं चली, सच्चाई क्या है?

जवाब : कमलनाथ खुद दिग्विजय सिंंह का नाम लेकर सरकार चला रहे थे। लेकिन अगर दिग्विजय सिंंह की चलती तो मैं मंत्री जरूर बनता।

सवाल : कांग्रेस लंबे समय बाद मप्र में सत्ता में आई, लेकिन कहां चूक हो गई कि सरकार नहीं चल पाई?

जवाब : पहली बार कमलनाथ वहां चूक गए जब सभी मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई। दूसरी चूक वहां कर दी कि दूसरे बार के विधायकों को मंत्री बना दिया, लेकिन छह से सात बार तक के विधायकों की वरिष्ठता को महत्व नहीं दिया। मैं कमलनाथ को अनुभवी नेता नहीं मानता हूं, वे केंद्र की राजनीति करने में भले ही महारथी रहे हों, लेकिन वे मप्र की राजनीति करने में पूरी तरह फेल रहे हैं। मुरैना जिले में कांग्रेस ने सभी सीटें जीतीं लेकिन वे आज तक जनता को धन्यवाद देने मुरैना नहीं गए। क्योंकि कुछ काम ही नहीं किया था। उनका पूरा ध्यान वल्लभ भवन, दिल्ली और छिंदवाड़ा पर ही सीमित रहा। कार्यकर्ताओं पर ध्यान नहीं दिया।

सवाल : आपका आरोप है कि कमलनाथ ने आपकी नहीं सुनी, इसलिए इस्तीफा दिया, तो आप दिल्ली में भी अपनी बात रख सकते थे, पार्टी छोड़ने की क्या जरूरत थी?

जवाब : हम लोग गए थे दिल्ली, राहुल गांधी से भेंट की। उन्होंने कहा आपके साथ अन्याय नहीं होने देंगे। इसके बाद लोकसभा चुनाव में आए तो कहा आप चुनाव के बाद आकर मिलना, हमने मिलने का बहुत प्रयास किया, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। क्योंकि कमलनाथ ने मुलाकात कराने वालों को हम लोगों की एक सूची देकर कह रखा था, कि यह लोग आएं तो राहुल गांधी से मुलाकात नहीं कराना।

सवाल : आपने कांग्रेस में लंबे समय तक काम किया, फिर कांग्रेस ओर विधायक पद छोड़ने का फैसला किया, निर्णय करने में कितनी पीड़ा हुई?

जवाब : पीड़ा तो होती है, कोई सरपंच का पद नहीं छोड़ना चाहता, हमने विधायक का पद छोड़ दिया। इस पीड़ा के जिम्मेदार कमलनाथ हैं।

सवाल : जिस भाजपा के खिलाफ लंबे समय तक राजनीति की, उस भाजपा को क्यों चुना?

जवाब : भाजपा से हमारी राजनीतिक लड़ाई थी, लेकिन वैचारिक मतभेद नहीं थे। मैं राजनीति की शुरूआत के समय भाजपा का मंडल अध्यक्ष रहा हूं, जब जनपद अध्यक्ष भी था। भाजपा सर्वहारा वर्ग की पार्टी है। यहां अच्छे नेता हैं।

सवाल : आपके कनिष्ठ गोविंद राजपूत को मंत्रिमंडल में जगह मिल गई, लेकिन आपको नहीं, क्या इसको लेकर नाराजगी नहीं है?

जवाब : हमें नेतृत्व पर भरोसा है, सब जल्द ठीक हो जाएगा।

सवाल : मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज और कमलनाथ में क्या अंतर देखा?

जवाब : शिवराज जमीन से जुड़े, सर्वहारा वर्ग के नेता हैं, वे पैदल, कार से चल लेते हैं, लेकिन कमलनाथ हवाई जहाज से नीचे नहीं उतरते।

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