MP News: 'शिवराज से आप फोन पर बात करके टाइम ले सकते हैं, कमलनाथ से नही'
MP News: सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक रघुराज सिंह कंसाना ने 'हरिभूमि' के सहयोगी न्यूज चैनल 'आईएनएच' के खास कार्यक्रम 'अदालत में बागी' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से बातचीत की। पढ़िए पूरी खबर-;
MP News: Madhya Pradesh विधानसभा का चुनाव कांग्रेस ने कमलनाथ के साथ सिंधिया को आगे रखकर लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार में लगातार सिंधिया की उपेक्षा की गई। पार्टी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद बनाने में लगातार उन्हें उपेक्षित किया। पार्टी के किसी बड़े नेता ने उनसे मिलकर उन्हें संतुष्ट करने की चेष्टा तक नहीं की। इसके उलट जब सिंधिया ने मैनिफेस्टो को लेकर जब बात उठाई तो उन्हें चैलेंज कर दिया कि सड़क पर उतर जाओ। इसलिए कमलनाथ सरकार गिरी। यह कहना है आगामी उपचुनाव में मुरैना सीट से भाजपा के प्रत्याशी माने जाने वाले और सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक रघुराज सिंह कंसाना का। उन्होंने 'हरिभूमि' के सहयोगी न्यूज चैनल 'आईएनएच' के खास कार्यक्रम 'अदालत में बागी' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से बातचीत में ये बातें कहीं।
सवाल: लंबे समय बाद कांग्रेस को मुरैना सीट जीतने का मौका मिला, कांग्रेस खुशी भी नहीं मना पाई कि आपने पार्टी छोड़ दी, यह कदम उठाने की जरूरत क्यों पड़ गई?
जवाब: राहुल गांधी के निर्देश पर कांग्रेस ने मप्र में कमलनाथ-सिंधिया के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। राहुल गांधी ने सरकार बनने के दस दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ करने की बात कही थी। इसके बावजूद डेढ़ वर्ष में किसानों का कर्ज माफ नहीं कर पाए। सिंधिया ने मैनिफेस्टो को लेकर बात कही थी कि जो कांग्रेस के वचन पत्र में हैं, वो वादे पूरे करने चाहिए। सिंधिया समर्थक जो विधायक, मंत्री थे, उनको मुख्यमंत्री द्वारा सहयोग नहीं किया जा रहा था। सिंधिया को भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने में, राज्यसभा सदस्य बनाने में लगातार नजरअंदाज किया गया। वरिष्ठ नेताओं ने सिंधिया से बात कर उन्हें संतुष्ट करने की चेष्टा नहीं की। कमलनाथ ने उल्टा कह दिया कि सड़क पर उतर जाएं किसने रोका है। इस तरह से चैलेंज करना ठीक नहीं रहा। ऐसे में सिंधिया समर्थक जो मंत्री, विधायक सरकार में थे, सभी ने मिलकर निर्णय किया कि सिंधिया के साथ रहना है, वे जहां गए उनके साथ चले गए।
सवाल : सिंधिया को कांग्रेस ने राष्ट्रीय महासचिव बनाया, वे पीसीसी चीफ क्यों बनना चाहते थे, क्या वे सीएम बनना चाहते थे?
जवाब : राष्ट्रीय महासचिव तो दिग्विजय सिंह भी थे, राज्यसभा सदस्य भी थे, वे फिर क्यों राज्यसभा की सीट के लिए लालायित थे। उन्हें पहले भी राज्य सभा भी मिली थी, एक बार सिंधिया को मिल जाने देते। इसके लिए सिंधिया ने बहुत इंतजार किया लेकिन कांग्रेस ने उनके लिए कोई फैसला नहीं लिया।
सवाल: कांग्रेसी कहते रहे हैं कि ग्वालियर-चंबल में अभी तक महल की राजनीति ही चलती रही, कांग्रेस की नहीं, अब असल कांग्रेसियों को महत्व मिलेगा?
जवाब: सिंधिया कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं, यह बात जरूर है कि जिस बड़े नेता का क्षेत्र होता है, उसके समर्थकों को महत्व मिलता है। ऐसा दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के क्षेत्र में भी होता है। लेकिन ठीक है अब वे पद ले लें, जिनको सिंधिया से शिकायत थी। हम तो भाजपा के साथ हैं, सभी 22 लोगों को टिकट मिलेगा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और संगठन महामंत्री ने मीडिया से चर्चा में स्पष्ट किया है।
सवाल: सिंधिया ने अब तक ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कांग्रेस का नेतृत्व किया, अब वे भाजपा में हैं, जहां पहले से ही नरेंद्र सिंह तोमर बड़े नेता हैं। ऐसे में द्वंद्व रहेगा कि इलाका सिंधिया का होगा या फिर तोमर का?
जवाब: कोई द्वंद्व नहीं है, दोनों पार्टी के बड़े नेता हैं। हम सब मिलकर काम करेंगे। पार्टी के जो निर्देश होंगे उसका पालन होगा।
सवाल: कांग्रेस ने सिंधिया को महत्व नहीं दिया, लेकिन जनता के लिए अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिए। फिर आपने सरकार के साथ रहने के बजाए सिंधिया के साथ जाने का फैसला क्यों किया?
जवाब: जनता के लिए कोई महत्वपूर्ण फैसले नहीं किए, क्षेत्र में जब हम जाते थे तो जनता की बात सुनने को मिलती थीं। किसानों का कर्ज माफ नहीं किया। पूरे मप्र का बजट अकेले मुख्यमंत्री कमलनाथ के क्षेत्र में लग रहा था। मुख्यमंत्री को विधायकों से मिलने का समय नहीं रहता था, जिससे हमारे क्षेत्र के विकास कार्य की स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री से मिलने का इंतजार ही हम करते रहते थे। उनके पास मिलने का समय नहीं रहता था। हमने सिंधिया के काम करने का तरीका देखा है, उनका अनुभव देखा है।
सवाल: आपने रुस्तम सिंह को हराया, अब उन्हीं के साथ आ गए। क्या वे चुनाव में आपका साथ देंगे?
जवाब: जरूर साथ देंगे, सभी पार्टी की बात मानते हैं। हम उनसे भी मिलेंगे। हम कोरोना के बाद प्रचार-प्रसार अभियान में उतरेंगे।
सवाल: आपने पहले कांग्रेस का संगठन देखा, अब भाजपा का देख रहे हैं, कितना अंतर लग रहा है दोनों के बीच में?
जवाब: कांग्रेस में निर्णय लेने की क्षमता नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष बनाने में भी दो-दो साल लगा देते हैं।
सवाल: सीएम के रूप में कमलनाथ और शिवराज में कितना अंतर है?
जवाब: कमलनाथ जब सीएम थे, उनको मिलने का ही टाइम नहीं था। शिवराज से आप फोन पर बात कर सकते हैं, मिलने के लिए टाइम ले सकते हैं। भाजपा में राष्ट्रीय पदाधिकारियों से मिलना भी आसान है। भाजपा संबंध बनाने में विश्वास करती है, जबकि कांग्रेस संबंध तोड़ने में विश्वास रखती है।
सवाल: मुरैना में क्या काम रह गए जो कांग्रेस सरकार ने नहीं किए?
जवाब: कांग्रेस ने मुरैना में मेडिकल कालेज खोलने का वादा किया, कोलारस में दो शुगर फैक्ट्री लगाने का वादा किया, बानमोर में इंडस्ट्री लगाने की बात कहीं, लेकिन इनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया।
सवाल: क्या आपने भाजपा में जाने से पहले गारंटी ली थी कि ये सब काम करा लेंगे। क्षेत्र के लिए कुछ मांगें रखीं थीं?
जवाब: हमने कोई शर्त नहीं रखी है, लेकिन उचित मंच पर उचित समय पर क्षेत्र के विकास की बात रखेंगे। आने वाले समय में आपको पता चलेगा कि भाजपा क्या कर रही है।
वीडियो में देखिए इंटरव्यू-