रैगिंग करने वाले छात्रों की अब खैर नहीं, शिकायत मिलते ही होंगे निष्कासित, तीन साल तक देश के किसी भी कॉलेज में नहीं मिलेगा प्रवेश Watch Video

उच्च शैक्षणिक संस्थानों में लगातार बढ़ रही रैगिंग की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कमलनाथ सरकार प्रिवेंशन ऑफ रैगिंग एक्ट लाने की तैयारी कर रही है। जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में यह विधेयक लाया जा सकता है।;

Update: 2019-06-12 07:04 GMT

भोपाल। उच्च शैक्षणिक संस्थानों में लगातार बढ़ रही रैगिंग की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कमलनाथ सरकार प्रिवेंशन ऑफ रैगिंग एक्ट लाने की तैयारी कर रही है। जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में यह विधेयक लाया जा सकता है।

इस एक्ट में सख्त प्रावधान किया गया है कि शिकायत मिलने या रैगिंग करते पकड़े गए आरोपी छात्रों को 3 सालों के लिए कॉलेजों या विश्वविद्यालयों से बर्खास्त कर दिया जाएगा। इसके साथ ही टीसी और माइग्रेशन में इस बात का जिक्र होगा और देशभर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने अपील की जाएगी की मध्यप्रदेश में रैगिंग में बर्खास्त छात्रों को तीन साल तक एडमिशन न दिया जाए।

विधि मंत्री का पीसी शर्मा ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है इस संबंध में उनके पास फाइल आ गई है। संबंधित अधिकारी इसका परीक्षण कर रहे हैं। मानसून सत्र के पहले कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को लाया जाएगा। इसकी मंजूरी मिलने के बाद इसे सत्र में विधेयक को पेश किया जाएगा।

बता दें राज्य विधि आयोग ने सरकार को एंटी रैगिंग कानून का पूरा ड्राफ्ट बनाकर दे दिया है। 'मप्र प्रोहिबिटेशन ऑफ रैगिंग एक्ट 2019' का ड्राफ्ट विधि आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड हाईकोर्ट जस्टिस वेदप्रकाश ने तैयार किया है।

प्रस्तावित कानून की सख्त जरूरत को लेकर आयोग ने 'प्रीवेंशन ऑफ रैगिंग इन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मध्यप्रदेश' नाम से एक डिटेल रिपोर्ट विधि विभाग के माध्यम से उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और गृह विभाग को भी भेजी है।

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