मंदसौर : नाम मात्र की E-pass सेवा, एडीएम बोलीं- सर्वर पर दबाव है

मध्यप्रदेश में E-pass सर्वर हुआ डाउन, लोगों की मुसीबतें दोगुनी, लक्की ड्रॉ योजना की तरह बनती जा रही आपदा प्रबंधन की यह ऑनलाइन सेवा। पढ़िए पूरी खबर-;

Update: 2020-04-23 11:33 GMT

मन्दसौर। लॉकडाउन में बिना घर से निकले ही ऑनलाइन आवेदन करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने e-pass सर्च के जरिए covid-19-mapit link पर APPLY LOCKDOWN E-PASS सेवा जारी कर रखी है, जिस पर आवेदक को कुछ जरूरी जानकारियां सबमिट करना होती है, पर जानकारियों के साथ आपको जरूरी दस्तावेजों के फोटो भी अपलोड करने होते हैं।

खबर ये है कि e-pass की इस लिंक पर डॉक्यूमेंट अपलोड होने में आ रही रुकावटों के चलते फ़ॉर्मलिटी पुरी नही हो पा रही है। लिहाजा, इमरजेंसी यानी विकट/अत्यंत आवश्यक कामों के लिए जाना चाह रहे लोगों को दोहरी परेशानी हो रही है। एक तरफ e-pass बनवाने के लिए तकनीकी दिक्कत, तो दूसरी तरफ जरूरी कामों के लिए गंतव्य तक न जा पाने की पीड़ा।

ताज़ा मामला मंदसौर की मल्हारगढ़ विधानसभा का है, जहां लसूड़िया राठौर गाँव में अपने पिता के अफीम पट्टे की रखवाली करने आया बेटा अब अपनी गर्भवती पत्नी के पास नही जा पा रहा है।

शैलेन्द्र सिंह राठौर बताते हैं कि पिछले 2 दिनों से वे ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूर्ण नही कर पा रहे हैं, उनकी गर्भवती पत्नी को डिलीवरी का फुल टाइम चल रहा है। कभी भी प्रसव हो सकता है, ऐसी स्थिति में जन्मदात्री माँ बनने जा रही पत्नी के पास होना अत्यंत जरुरी है, जिसके लिए पिछले दिनों से ऑनलाइन आवेदन कर रहे हैं। प्रक्रिया पूर्ण नही होगी तब तक उनको अनुमति मिलना संभव नही है। ऐसे में उन्हें और उनकी पत्नी को चिंता सता रही है।

शैलेन्द्र ने बताया कि वे उनकी पत्नी के साथ सीमावर्ती राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में रह रहे थे, पर माता पिता के अफीम पट्टे की रखवाली के लिए वे हर साल आते थे, पर इस साल इस कोरोना के भारी संकट में फंस गए हैं।

शैलेन्द्र सिंह का मानना है कि अगर उनकी पत्नी के प्रसव के दौरान भी वो नही पहुंच पा रहे हैं तो इससे मार्मिक बात और क्या हो सकती है।

संबधित अधिकारी एडीएम रोशनी पाटीदार का कहना है कि सर्वर पर दबाव है, जिसके चलते देरी हो रही है। लगातार प्रयास करने से समस्या हल हो जाएगी।

बिलकुल ऐसा होना संभव भी है कि लगातार जरूरतमंदों द्वारा लॉगइन किया जा रहा होगा, उससे सर्वर पर लोड आ गया हो। पर यह भी विचारणीय है कि आपदा प्रबंधन की डिजिटल आपतसेवा कितनी लचर है कि मामूली लोड नही ले पा रही है।  

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