मरकज की नमाज में कोरोना वायरस को लाए मलेशिया और इंडोनेशिया के विदेशी

राजधानी दिल्ली में मरकज की नमाज का आयोजन हजरत निजामुद्दीन की दरगाह में किया गया तब उसमें देश और विदेश की लोगों ने हिस्सा लिया। भारत में कोरोना संक्रमण फैलाने का मुख्य श्रेय मरकज की नमाज को जाता है।;

Update: 2020-06-28 11:40 GMT

कोरोना वायरस एक घातक महामारी है जिसने पूरी दुनियाँ में तवाही मचा दी है लेकिन दुनियाँ जब इस महामारी से जूझ रही थी तब भारत पूरी तरह से इस कोरोना महामारी से अछूता था। मुश्लिम समुदाय के द्वारा राजधानी दिल्ली में मरकज की नमाज का आयोजन हजरत निजामुद्दीन की दरगाह में किया गया तब उसमें देश और विदेश की लोगों ने हिस्सा लिया। भारत में कोरोना संक्रमण फैलाने का मुख्य श्रेय मरकज की नमाज को जाता है।

मरकज की नमाज में जो विदेशी आये वो भारत के लिए भारी संक्रमित कोरोना लेकर आये। इसमें मुख्य रूप से कोरोना वाहक जो लोग हैं वो मलेशिया और इंडोनेशिया के निवासी हैं। भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उचित समय पर कोरोना महामारी से बचने के लिए राष्ट्रव्यापी लाॅकडाउन लगाया लेकिन इन जमातियों ने भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य क्षेत्रों में कोरोना का प्रसार कर दिया जो भारत के लिए खतरा बन चुका है। 

दिल्ली निजामुद्दीन की दरगाह जो कोरोना का बडा हाॅटस्पाॅट बनी थी उसको लेकर  दिल्ली पुलिस ने अभी हाल ही में तब्लीकी जमातियों को लेकर आरोप पत्र जारी किया है। जानकारी के मुताबिक मरकज की नमाज में जो विदेशी आये उनमें से कुछ कोरोना वायरस से संक्रमित थे। वे अपने देश से कोरोना को भारत में लेकर आये। 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच मलेशिया में कोरोना के 500 केश सामने आ चुके थे। इसी के चलते मलेशिया सरकार ने एक सभा के आयोजन को रद्द किया था। इंडोनेशिया में 18 मार्च के आसपास 25 लोगों की मौत हो चुकी थी। कुल संक्रमित व्यक्ति आंकडा 309 के आसपास था। इसी के चलते सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए इंडोनिशिया सरकार ने अपनी होने वाली सभा को स्थगित कर दिया था। 

दिल्ली पुलिस ने कहा है कि मलेशिया,इंडोनेशिया और अन्य देशों के विदेशियों ने भारत की निजामुद्दीन की तब्लीकी जमात में हिस्सा लिया वो भारत में कोरोना वायरस के जीवन की शुरूआत थी। आरोपपत्र ने पुलिस ने बताया है कि पहले भी नमाजियों को यह कार्य न करने की हिदायत दी गई थी। जब 19 मार्च को प्रशासन मरकज के अधिकारियों से जाकर मिला तो इंडोनेशिया के एक व्यक्ति को  कोरोना संक्रमित पाया गया जो तेलंगाना होते हुए भारत आया था।

निजामुद्दीन की दरगाह में किसी भी प्रकार का सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा था। तब भी प्रशासनिक अधिकारियों नें कोरोना को लेकर की गई विश्व स्वास्थ्य संगठन और केन्द्र सरकार द्वारा एडवाइजरी का पालन करने का निर्देश दिया। उसी दिन दिल्ली पुलिस मरकज अधिकारी हाजी यूनुस से जाकर मिली, पुलिस लोगों की वास्तविक संख्या को जानना चाहती थी। 21 मार्च को दिल्ली पुलिस मुफ्ती शहजाद से जाकर मिली और विदेश आये लोगों को और भारत के अलग- अलग राज्यों से आये लोगों को उनके घर भेजने ्का आदेश दिया।

जब भी लोग प्रशासन द्वारा दी जा रही सलाह को नजर अंदाज करते रहेे। 24 मार्च को जब देश व्यापी लाॅकडाउन की घोषणा भारत सरकार ने की तब सरकार ने सरकार के आदेशों के खिलाफ कार्य करने पर कानूनी कार्यवाही करने का आदेश जारी किया। बंगलेवाली मस्जिद में उस समय कोई नहीं था लेकिन हजरत निजामुद्दीन की दरगाह में रह रहे लोंगों ने सरकार के आदेशों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

25 मार्च को मरकज की सभा में एक मेडिकल टीम को भेजा गया। जाँच के दौरान बांग्लादेशी नागरिक में कोरोना के लक्षण पाये गये। मेडिकल  टीम ने आकर प्रशासन को बताया की वहां किसी प्रकार के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने जाकर जब उस जगह का निरीक्षण किया तो 526 विदेशी और 1183 स्वदेशी लोगों की लिस्ट वहाँ से प्राप्त हुई। 

हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन के एसएचओ ने 28 मार्च को मौलाना साद और उनकी गठित कमैटी के खिलाफ कानून का उल्लंघन करने के सम्बन्ध मे क्राइम ब्रांच मे शिकायत दर्ज करवाई। दिल्ली पुलिस ने वहाँ पर  देश हित में कार्य किया। उस समय वकील मुजीद रहमान ने कहा कि प्रशासन को सबसे पहले यात्रा पर रोक लगानी चाहिए। यात्रियों का चैक अप किया जाना चाहिए। 




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