भारत को चीन पर नहीं अब भरोसा, सैनिकों के पूरी तरह हटने के बाद लौटेंगे भारतीय सैनिक

भारतीय सेना ने कहा कि दोनों पक्ष पूरे डिसइंगेजमेंट के मकसद को हासिल करने के लिए वचनबद्ध हैं। सेना ने कहा कि यह प्रक्रिया जटिल है और इसके निरंतर वेरिफिकेशन की जरूरत है।;

Update: 2020-07-16 17:42 GMT

नई दिल्ली। ईस्टर्न लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात सामान्य होने में कई महीनों का वक्त लग सकता है। भारत और चीन के बीच यह सहमति बनी है कि पूरी तरह डिसइंगेजमेंट किया जाएगा। बावजूद इसके डिसइंगेजमेंट तेजी से नहीं हो पाएगा। गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों तरफ भरोसे की कमी है, इसलिए हर कदम का लगातार वेरिफिकेशन किया जा रहा है। जटिल प्रक्रिया, लगातार वेरिफिकेशन की जरूरत।

दोनों देशों के बीच मंगलवार को हुई कोर कमांडर स्तर की चौथे चरण की मीटिंग के बाद गुरुवार कोभारतीय सेना ने कहा कि दोनों पक्ष पूरे डिसइंगेजमेंट के मकसद को हासिल करने के लिए वचनबद्ध हैं। सेना ने कहा कि यह प्रक्रिया जटिल है और इसके निरंतर वेरिफिकेशन की जरूरत है।
 

भारतीय सेना के आधिकारिक बयान में कहा गया कि कोर कमांडर मीटिंग में सीनियर कमांडर्स ने पहले फेज के डिसइंगेजमेंट का रिव्यू किया और इस पर चर्चा की गई कि पूरी तरह डिसइंगेजमेंट के लिए किस तरह आगे कदम बढ़ाए जाएंगे। डिसइंगेजमेंट के लिए लगातार डिप्लोमेटिक और मिलिट्री स्तर पर मीटिंग होती रहेगी।

पैंगोंग त्सो और हॉट स्प्रिंग में उलझन

सेना के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया इसलिए जटिल है क्योंकि अभी हजारों की संख्या में दोनों तरफ से सैनिक एलएसी के पास तैनात हैं। भले ही पहले फेज के डिसइंगेजमेंट के बाद दोनों तरफ के सैनिक एकदम आमने सामने नहीं हैं। लेकिन दोनों तरफ से युद्ध स्तर की तैनाती पूरी है जो चिंता का सबब है। जहां सैनिक एकदम आमने-सामने थे वहां बफर जोन बनाने का मकसद ही यह था कि हालात बेकाबू ना हों।

कुछ और दौर की बातचीत मुमकिन

सूत्रों के मुताबिक पेट्रोलिंग पॉइंट-14 और पीपी-15 में पूरा डिसइंगेजमेंट हो गया है। लेकिन पैंगोंग और हॉट स्प्रिंग एरिया में अभी वक्त लगेगा। इसके लिए लगातार बातचीत होगी। एक अधिकारी के मुताबिक, यहां जमीनी स्तर पर कदम उठाने से पहले मुमकिन है कि कुछ और दौर की बातचीत की जरूरत पड़े। उन्होंने कहा कि हजारों सैनिकों को पीछे करने में कई महीने लग सकते हैं। जब तक हालात सामान्य नहीं होते तब तक सामान्य पट्रोलिंग भी नहीं हो पा रही है। भारतीय सैनिक पहले पीपी-14, पीपी-15 और पीपी-17ए तक पट्रोलिंग करते थे लेकिन बफर जोन बनाने के बाद पट्रोलिंग नहीं की जा रही है। एक अधिकारी ने कहा कि यह अस्थाई रोक है और पट्रोलिंग की कोई जल्दबाजी नहीं है। रोक का मकसद यह है कि फिर कोई झड़प ना हो।

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