इजरायल: 12 साल बाद बेंजामिन नेतन्याहू की विदाई, नए प्रधानमंत्री बने नफ्ताली बेनेट

खबरों से मिली जानकारी के अनुसार, नई सरकार की पुष्टि के लिए इजरायल की संसद ‘नेसेट’ में जोरदार हंगामा भी हुआ। संसद में सत्र शुरू होने पर नामित प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट से धक्का -मुक्की की गई।;

Update: 2021-06-14 03:12 GMT

इजरायल में विपक्षी नेता और गठबंधन दलों के उम्मीदवार नफ्ताली बेनेट ने इजरायल के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। इसी के साथ नई सरकार के शपथ लेने के साथ ही पिछले 2 सालों में 4 बार चुनाव होने के बाद उत्पन्न हुए राजनीतिक संकट का भी समाधान हो गया है। बता दें कि इजरायल में 12 साल के बाद पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की विदाई हुई है।

नामित पीएम के साथ धक्का मुक्की की गई

खबरों से मिली जानकारी के अनुसार, नई सरकार की पुष्टि के लिए इजरायल की संसद 'नेसेट' में जोरदार हंगामा भी हुआ। संसद में सत्र शुरू होने पर नामित प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट से धक्का -मुक्की की गई। बताया जा रहा है कि जब नामित प्रधानमंत्री बेनेट ने जैसा ही अपने भाषण की शुरुआत करने की कोशिश की, जब ही अन्य नेता द्वारा उन्हें बार-बार परेशान किया गया। भाषण के दौरान विपक्षी नेताओं ने चिल्लाना जारी रखा और उनके लिए अपराधी और झूठा शब्दों का प्रयोग करते रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, नई सरकार में सहयोगी पार्टी के नेता लैपिड ने तो भाषण ही छोड़ दिया। साथ ही उन्होंने नामित पीएम के साथ कि गयी धक्का-मुक्की की घटना को लोकतंत्र के लिए शर्मसार बताया।

उधर, संसद में बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि मैं यहां लाखों इजरायलियों की तरफ से खड़ा हूं, जिन्होंने मेरे नेतृत्व में लिकुड पार्टी (Likud Party) को वोट दिया और अन्य लाखों इजरायलियों ने दक्षिणपंथी दलों को वोट दिया। नेतन्याहू ने कहा है कि अपने प्यारे देश के लिए रात-दिन काम करना मेरे लिए सम्मान की बात थी।बता दें कि बेनेट के भाषण के विपरीत, नेतन्याहू की टिप्पणियों के दौरान अधिकतर माहौल शांत रहा।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि इजरायल में एक छोटी अल्ट्रानेशनलिस्ट पार्टी के चीफ नफ्ताली बेनेट ने पीएम पद की शपथ लेने के बाद कार्यभार संभाल लिया है। सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल आठ छोटे-छोटे दल नेतन्याहू का विरोध करने और नए सिरे से चुनाव कराने के खिलाफ एकजुट तो हुए हैं। लेकिन ये दल बहुत कम मुद्दों पर आपस में सहमत हैं। वहीं, भ्रष्टाचार के मामले में फंसे नेतन्याहू संसद में अभी भी सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष बने हुए हैं। कहा जा रहा है कि वे नई सरकार का पुरजोर विरोध करेंगे। ऐसे में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल अगर एक भी दल अगर पीछे हटता है तो नई सरकार अपना बहुमत गंवा देगी और सरकार गिरने का जोखिम पैदा हो जाएगा।


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