नेपाल पीएम का भारत के साथ सीमा विवाद पर बयान, नए मानचित्र में लिंपीयधुरा, कालापानी, लिपुलेख को अपना क्षेत्र बताया
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली ने भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच अपनी संसद में एक बड़ा बयान दिया।;
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली ने भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच अपनी संसद में एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने संसद में बयान देते हुए कहा कि लिपुलेख कालापानी को वापस लेकर रहेंगे। कोई नाराज हो तो हमें इसका कोई फर्क नहीं। वहीं दूसरी तरफ नेपाल ने एक नया मानचित्र जारी किया है। जिसमें कालापानी, लिपुलेख और लिंपीयधुरा को अपना क्षेत्र बताया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल इन तीनों इलाकों को अपना अधिकार क्षेत्र मानता है। भारत में नक्शे में इन्हें अपने इलाकों में दिखाया है और अब नेपाल ने मानचित्र जारी कर । इन तीन इलाकों को अपने अधिकार क्षेत्र में बताया है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की नीति क्या है। सत्यमेव जयते या फिर सीमा मेव जयते।
नेपाल के प्रधानमंत्री ने अपनी संसद में बयान देते हुए कहा कि तिब्बत चीन और भारत से सटी हमारे इलाकों को किसी भी कीमत पर वापस लिया जाएगा। उन्होंने भारत का नाम लिए बिना ही कहा कि अब हम लगातार इन इलाकों को कूटनीतिक नजरिया से वापस लेने में जुटे हैं। हमें इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई क्या समझता है। लेकिन हम अपने इलाकों को अब वापस लेकर रहेंगे। जानकारी के लिए बता दें कि नेपाल चीन तिब्बत और भारत की सीमा से सटा हुआ है।
बता दे कि प्रधानमंत्री होली कि 2 महीने पहले किडनी ट्रांसप्लांट हुई है और इसके बाद वह संसद पहुंचे। जहां उन्होंने अपने भाषण में नए राजनीतिक नक्शे को मंजूरी दी। जो भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद बना हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ भारत में नेपाल के इस बयान पर कहा कि इस राजनीति के पीछे कोई और है। भारतीय आर्मी चीफ नरवाडे ने कहा था की कालापानी लिपुलेख और लिंपिया अधूरा पर नेपाल के विरोध के पीछे किसी और देश का हाथ है। नेपाल के प्रधानमंत्री ने इस पर अभी तक कोई जवाब नहीं दिया जिसके बाद नेपाल के प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि हम जो भी करते है। खुद करते हैं और साथ ही हम भारत के साथ दोस्ताना संबंध बनाए रखना चाहते हैं।
भारत ने नवंबर 2019 में जारी किया था अपना नक्शा
जानकारी के लिए बता दें कि भारत सरकार ने पिछले साल 2 नवंबर 2019 को एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था। जिसमें इन तीन इलाकों को भारतीय क्षेत्र में बताया था। उस वक्त भी नेपाल ने इन तीन इलाकों को लेकर भारत के इस फैसले के खिलाफ ऐतराज़ जताया था। भारत और नेपाल के बीच इन तीन इलाकों को लेकर विवाद चल रहा है। दोनों ही इन इलाकों को अपना अधिकार क्षेत्र मानते हैं।