पाक से छिन सकता है GSP दर्जा, EICC ने EU कमिश्नर फॉर ट्रेड को पत्र लिखकर की शिकायत
आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को एफएटीएफ और आईएमएफ के बाद अब यूरोपीय संघ की ओर से झटका लग सकता है। यूरोप इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने पाकिस्तान के जीएसपी का दर्जा वापस लेने की मांग की।;
यूरोप इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स (EICC) ने यूरोपीयन कमिशन के ईयू कमिश्नर फॉर ट्रेड को पत्र लिखकर मांग की है कि पाकिस्तान को दिए गए जीएसपी (Generalized System of Preferences) के दर्जा को वापस ले लिया जाए। बता दें कि जीएसपी के तहत यूरोपीय संघ के बाजारों में आयात पर शुल्क नहीं लगाया जाता है। ऐसे में अगर ये दर्जा वापस लिया जाता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लग सकता है।
Europe India Chamber of Commerce writes to EU Commissioner for Trade, European Commission, calling to immediately withdraw Generalised System Preferences (GSP) plus status to Pakistan. pic.twitter.com/0EAoW2JYCp
— ANI (@ANI) September 14, 2019
ईआईसीसी ने यह मांग पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों की हत्या के मामलों को देखते हुए की है। भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार को बढ़ावा देने वाले इस संगठन ने पत्र में लिखा कि हम इसे गर्व से लेते हैं कि यूरोपी संघ का मौलिक मूल्य मानवाधिकार, आजादी, लोकतंत्र, समानता और कानून के नियमों का आदर करना है। और यह यूरोपीय संघ की संधि से बंधा हुआ है, यूरीपीय संघ और इसके सदस्य देशों ने दूसरे देशों के साथ अपने संबंध को बढ़ावा देने के उद्देश्य के तहत मानवाधिकाकर का सम्मान करने और उसे बढ़ावा देने का संकल्प लिया है।
पत्र में यूरोपीय संसद की कार्यवाही हवाला देते हुए लिखा गया है कि ब्रसल्स में 9 सितंबर को यूरोपीय संसद में मानवाधिकार पर आधारित सब-कमिटी की बैठक में सदस्यों ने पाकिस्तान को दिए जा रहे जीएसपी का मुद्दा उठाया था। इसमें पाकिस्तान को जीएसपी प्लस का दर्जा दिए जाने के औचित्य पर सवाल उठाया गया था। जब यूरोपीय संसद ने हाल के दिनों में पाकिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर 3 प्रस्ताव पारित किए थे, तब पाकिस्तान को यह दर्जा देने की क्या नैतिक बाध्यता है? वहीं एक सदस्य ने सिख लड़की के अपहरण और जबरन धर्मांतरण के बादी शादी कराए जाने का भी मामला उठाया था।
ईआईसीसी ने श्रीलंका का हवाला देकर पाकिस्तान से दर्जा वापस लेने की मांग करते हुए लिखा कि पहले भी मानवाधिकार का उल्लंघन करने पर व्यापार के विशेषाधिकार कुछ देशों से वापस ले लिए गए हैं,जैसे कि श्रीलंका। ईयू ने उन सामानों का आयात भी प्रतिबंधित किया था जिसके बनाने में मानवाधिकार का उल्लंघन होता हो।
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