UN में उठा कश्मीर का मुद्दा, भारत ने पाकिस्तान की काली करतूत का खुलासा करते हुए बताई औकात

संयुक्त राष्ट्र में भारत के मिशन के प्रथम सचिव मिजिटो विनिटो (First Secretary Mijito Vinito) ने कहा कि यह खेदजनक है कि इस बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाए।;

Update: 2022-09-24 04:36 GMT

पाकिस्तान (Pakistan) की ओर से लगाए गए झूठे आरोप का भारत (India) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में आज इसका करारा जवाब दिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के मिशन के प्रथम सचिव मिजिटो विनिटो (First Secretary Mijito Vinito) ने कहा कि यह खेदजनक है कि इस बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाए।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपने देश में हो रहे कुकर्मों को छिपाने के लिए इस मंच का खुलेआम दुरुपयोग किया है। उन्होंने कहा कि एक देश जो दावा करता है कि वह अपने पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है, वह कभी भी सीमा पार आतंकवाद (Terrorism) को प्रायोजित नहीं करेगा या मुंबई आतंकवादी हमले के योजनाकारों को आश्रय नहीं देगा। भारतीय राजनयिक मिजिटो विनिटो ने कहा कि भारत पर झूठे आरोप लगाने से पहले पाकिस्तान को अपनी काली करतूत को साझा करनी चाहिए।

विंटो ने जोर देकर कहा कि इस्लामाबाद को जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) पर दावा करने के बजाय सीमा पार आतंकवाद को रोकना चाहिए। विनीतो ने कहा, 'जब पाकिस्तान में दलित समुदाय की हजारों महिलाओं का जानबूझकर अपहरण किया जाता है, तो ऐसी मानसिकता पर हम क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं। उन्होंने आगे कहा उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि वह अपने देश में हो रही घटनाओं को छुपा सके और भारत के खिलाफ अपने व्यवहार को सही ठहरा सके जो पूरी दुनिया को स्वीकार्य नहीं है।

यह बहुत दुःख की बात है कि भारत पर झूठे आरोप लगाने का इस्तेमाल किया गया। बता दें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ( Prime Minister Shahbaz Sharif) ने शुक्रवार को यहां कहा कि पाकिस्तान भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है, लेकिन दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता कश्मीर मुद्दे के उचित और स्थायी समाधान पर निर्भर करती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए, शरीफ ने दावा किया कि जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) की विशेष स्थिति को बदलने के लिए 5 अगस्त, 2019 को भारत के "अवैध और एकतरफा" कदम ने शांति की संभावनाओं को और कम कर दिया है और इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ गया है।

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