राजस्थान विधानसभा में CAA विरोधी प्रस्ताव हुआ पारित, ऐसा करने वाला तीसरा राज्य

राजस्थान विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया। केरल और पंजाब के बाद राजस्थान देश का तीसरा राज्य बन गया।;

Update: 2020-01-25 12:03 GMT

राजस्थान विधानसभा के चौथे सत्र के दूसरे दिन शनिवार को सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। जिसमें पक्ष- विपक्ष में तीखी बहस होने के बाद यह प्रस्ताव परित हो गया। सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाले यह तीसरा राज्य बन गया।

इसके पहले केरल और पंजाब में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके है। सीएए के खिलाफ प्रस्ताव के दौरान भाजपा सदस्य वेल में चले गए। वे इस कानून के पक्ष में नारे लगाते रहे, लेकिन विरोध के बीच यह प्रस्ताव पारित हो गया।

कांग्रेस के पारित प्रस्ताव में कहा गया कि सीएए संविधान की मूल प्रकृति से खिलवाड़ करता है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 का लक्ष्य धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों को अलग करना है। यह एक ऐसा कानून लाया गया है, जो देश के इतिहास में पहली बार धर्म के आधार पर लोगों को अलग कर रहा है। साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) का भी जिक्र किया गया है।

वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि जब संसद ने यह कानून पारित कर दिया तो आप इसे लागू क्यों नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून तो आपको लागू करना ही पड़ेगा। दुनिया की कोई ताकत इसे रोक नहीं सकती है। जिस पर कांग्रेस के अमीन खां ने पलटवार कर कहा कि हम सब एक हैँ। मैं यहां हिंदुओं के समर्थन से ही यहां चुन कर आया हूं। 

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि सीएए के तहत हाल ही में शुरू किए गए संशोधन धार्मिक आधार पर लोगों को विभाजित करते हैं। सीएए के तहत प्रस्तावित अतिरिक्त जानकारी के साथ कई लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ेगा। इसका जीता जागता उदाहरण असम है। साथ ही इसने केंद्र से सीएए में संशोधन और एनपीआर पर संदेह स्पष्ट करने की मांग की।

हमारा संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और अनुच्छेद 14 यह स्पष्ट करता है कि भारत के क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति कानून के तहत समानता से वंचित नहीं किया जा सकता है। 


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