राजस्थान ने पहली बार जीता साहित्य अकादमी पुरस्कार, दो साहित्यकारों को मिलेगा सम्मान
बीकानेर के नंदकिशोर आचार्य और हनुमानगढ़ के रामस्वरूप किसान को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। हिंदी भाषा में ऐसा पहली बार होगा जो किसी राजस्थानी युवा को साहित्य अकादमी में सम्मान मिलेगा।;
राजस्थान के लेखकों ने पहली बार साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता है। बीकानेर के नंदकिशोर आचार्य और हनुमानगढ़ के रामस्वरूप किसान को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
साहित्य अकादमी ने बुधवारको 23 भाषाओं में पुरस्कार देने की घोषणा की है। जिसमें पहली बार हिंदी में राजस्थान के साहित्यकार का भी नाम शामिल किया गया है। नंदकिशोर को हिंदी भाषा में काव्य छीलते हुए अपने को तथा रामस्वरूप को राजस्थानी भाषा में बारीक बात के लिए पुरस्कार दिया जाएगा। वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर को भी अंग्रेजी भाषा के लिए पुरस्कार दिया जाएगा।
75 वर्षीय डा. नंदकिशोर आचार्य की कविता छीलते हुए वर्ष 2013 में प्रकाशित हुई था। गांधी पर लिखा उनका नाटक बापू और मानवाधिकार के आयाम पर लिखी पुस्तक भी काफी चर्चा में रही हैं। इससे पहले उन्हें मीरा, बिहारी, भुवालका, भुवनेश्वर, केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं। डा. नंदकिशोर आचार्य की कविता बुरा तो नहीं मानोगे, यदि मुझे अब तुम्हारी बांसुरी बने रहना स्वीकार नहीं.. पूरे हिंदी जगत का ध्यान खींचकर हिंदी के साहित्य पटल पर अपनी खास छवि बनाई थी।
65 वर्षीय साहित्यकार रामस्वरूप की चर्चा वर्तमान दौर के प्रमुख कहानीकारों में आती है। ये अब तक एक दर्जन से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें साहित्य अकादमी अनुवाद , राजस्थानी भाषा-साहित्य, संस्कृति अकादमी का मुरलीधर व्यास राजस्थानी कथा और कथा-दिल्ली का कथा पुरस्कार सहित अनेक पुस्कारों से सम्मानित किये जा चुके हैं। उनकी कहानी दलाल को नब्बे के दशक में भारतीय भाषाओं की 11 सर्वश्रेष्ठ कहानियों में शामिल किया जा चुका है।
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