Commonwealth Games 2022: हरियाणा की छोरी का बर्मिंघम में दमदार प्रदर्शन, बॉक्सिंग में दिलाया देश को पहला गोल्ड मेडल
भारत की युवा स्टार नीतू घनघस ( Neetu Ghanghas won the gold medal) ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता।इसी के साथ भारत की झोलाी में 15 गोल्ड मेडल (15 gold medals have come in India's bag) आ चुके हैं। नीतू ने इंग्लैंड की डेमी जेड को हराकर यह मुकाबला अपने नाम किया। नीतू के साथ-साथ उनके पिता की सालों की मेहनत रंग लाई।;
कॉमनवेल्थ गेम्स का 10वां दिन भारत के लिए बेहतरीन ( Commonwealth Games)साबित हो रहा है। क्योकि भारत की युवा स्टार नीतू घनघस( Neetu Ghanghas won the gold medal) ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। इसी के साथ भारत की झोलाी में 15 गोल्ड मेडल (15 gold medals have come in India's bag) आ चुके हैं। नीतू ने इंग्लैंड की डेमी जेड को हराकर यह मुकाबला अपने नाम किया। नीतू के साथ-साथ उनके पिता की सालों की मेहनत रंग लाई। रिंग में भले ही नीतू की मेहनत ने मेडल दिलाया लेकिन रिंग तक उन्हें पहुंचाने का श्रेय (credit for bringing her to the ring)उनके पिता को जाता है।
नीतू के पिता जयभगवान (Jai Bhagwan) व माता मुकेश देवी ने बताया कि उन्हें अपनी बेटी की मेहनत व उनके कोच के प्रशिक्षण पर पूरा भरोसा था। नीतू उनके भरोसे पर खरी उतर रही है और लगातार जीती रही। नीतू की मां ने हर मां बाप से अपनी बेटी को आगे बढ़ने का मौका देने की अपील की।
पिता का संघर्ष
नीतू हरियाणा के भिवानी जिले की रहने (Neetu is a resident of Bhiwani) वाली हैं। और विजेंदर सिंह को देखकर बॉक्सर बनने का सपना देखा। साल 2012 में उनके सफर (journey started in the year 2012) की शुरुआत हुई। हालांकि शुरुआत अच्छी नहीं थी। वह स्टेट लेवल पर 3 साल तक कुछ कमाल नहीं कर सकी। हालांकि पिता उनका हौंसला बढ़ाते रहे। नीतू के पिता हर जगह बेटी के साथ रहते (daughter everywhere) थे।
मिली जानकारी के अनुसार नीतू के पिता खेल का खर्चा उठाने में संघर्ष कर रहे थे। पिछले चार साल से वह (Neetu's father was struggling to bear) छुट्टी पर हैं जिसके लिए उन्हें नोटिस दिया गया है। बेटी के साथ रहने के कारण वह नौकरी पर नहीं जा पा रहे ऐसे में पैसों की बहुत कमी थी। जिसके बाद उन्होंने अपने दोस्तो से और रिश्तेदारों से कर्ज लिया। कर्ज चुकाने ( friends and relatives) के लिए उन्हें अपनी कार तक बेचनी पड़ी। वह अपनी बेटी की ट्रेनिंग में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते (daughter's training) थे।
2015 में एक एक्सीडेंट के कारण उनकी सर्जरी हुई
इतना ही नहीं नीतू के लिए भी राह आसान नहीं (easy for Neetu as well) रही। साल 2015 में एक एक्सीडेंट के कारण उनकी सर्जरी हुई। इस दौरान उन्हें काफी दर्द सहना पड़ा। हालांकि पिता यहां भी बेटी के साथ नजर आए। वहीं साल 2019 में वह फिर चोटिल हो गई जिससे वह रिंग से फिर दूर हो गई। कोरोना के दौरान नीतू खेतों में अभ्यास करती थीं। नीतू को करियर की पहली बड़ी कामयाबी साल 2016 में मिली। ग्वालियर में हुए स्कूल गेम्स में नीतू ने गोल्ड मेडल (Neetu used to practice)जीता। वहीं उसी साल गुवाहाटी में वर्ल्ड यूथ चैंपियन बनी। वहीं इसके बाद एशियन यूथ चैंपियनशिप में भी गोल्ड अपने नाम किया (medal at the Stranza Memorial)। साल 2021 में उन्होंने सीनियर टीम में वापसी की और इसी साल स्ट्रैंजा मेमोरियल में मेडल जीता। अब नीतू (Commonwealth Champion) कॉमनवेल्थ चैंपियन हैं।