Tokyo Olympics: हॉकी प्लेयर निशा और नेहा ने हर मुश्किल को पार कर बढ़ाया देश का मान, अब Olympic में Medal जीतना है लक्ष्य

भारतीय हॉकी टीम की खिलाड़ी निशा वारसी और नेहा गोयल ने हर मुश्किल को पार कर देश और परिवार का मान बढ़ाया।;

Update: 2021-07-14 12:59 GMT

खेल। भारतीय महिला हॉकी टीम (Indian Women's Hockey team) 23 जुलाई से शुरू हो रहे टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में शानदार प्रदर्शन करने को तैयार हैं। टीम में शामिल खिलाड़ियों का लक्ष्य विजेता बनकर देश के लिए पदक हासिल करना है। इसी टीम में हरियाणा (Haryana) के सोनीपत (Sonipat) की दो बेहतरीन खिलाड़ी भी हैं, वह बचपन की दोस्त के साथ-साथ एक दूसरे की पड़ोसी भी हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं नेहा गोयल (Neha Goyal) और निशा वारसी (Nisha Warsi) की। जिन्होंने आर्थिक तंगी के बावजूद देश का नाम रोशन करने के लिए हॉकी की स्टीक नहीं छोड़ी। इसी का नतीजा है कि दोनों ओलंपिक में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने को तैयार हैं।


नेहा अटैक और डिफेंस दोनों में बेहतर

नेहा गोयल टीम में मिड फील्डर के रूप में पहली बार ओलंपिक में खेलेंगी। नेहा 2017 में एशियन कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थीं। जिसने 2018 में लंदन के विश्व कप और राष्ट्रमंडल खेलों में भी हिस्सा लिया था। वहीं उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 2014 में ग्लासगो में एफआईएच चैंपियन चैलेंज में पहला मैच खेला था। जिसके बाद उनको इसी प्रदर्शन की बदौलत रेलवे में नौकरी मिली थी। साथ ही 1 नवंबर 2019 को एफआईएच क्वालीफायर में अमेरिका की टीम को 6-5 से हराकर भारतीय टीम ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था, जिसमें नेहा प्रदर्शन काफी बेहतरीन था। यही नहीं मैदान में स्ट्राइकर को ज्यादा गेंद विपक्षी गोल में डालने में नेहा का अटैक और डिफेंस दोनों ही काफी अच्छा है। उनका यही ऑलराउंडर के तौर पर प्रदर्शन उन्हें दूसरों से अलग बनाता है।


नेहा का बचपन गरीबी में बीता

15 नवंबर 1996 को नेहा का जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ था पिता एक दिहाड़ी मजदूर थे। लेकिन 2017 में एक बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। महज 11 साल में ही हॉकी में देश के लिए कुछ कर गुजरने के जज्बे ने उन्हें कभी निराश नहीं होने दिया। तीन बहनों में सबसे छोटी नेहा की राह में कई मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और सभी बाधाओं को पार कर लिया। इसमें उनकी मां ने समाज की परवाह किए बगैर उनके पालन पोषण में किसी तरह की कोई कमी नहीं महसूस होने दी । साथ ही उन्होंने अपनी बेटी के सपने को भी जिंदा रखा।


वहीं निशा वारसी भी टीम में मिडफिल्डर के रूप चुनी गई। वहीं निशा को रेलवे की नेशनल टीम के कारण फॉरवर्ड और डिफेंस खेलने में महारथ हासिल है। 2017 में निशा को एशिया हॉकी चैंपियन के अलावा राष्ट्रमंडल खेलों जैसे अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारतीय टीम में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। लेकिन 2019 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जापान के हिरोशिमा में एफआईएच महिला सीरीज फाइनल्स में अपना मैच खेला था।

निशा-नेहा के एक ही कोच

अपने बेहतर प्रदर्शन के कारण नेहा गोयल और निशा वारसी भारतीय महिला हॉकी टीम में चुनी गई हैं। वहीं दोनों को तरासने वाली कोच और पूर्व हॉकी खिलाड़ी प्रीतम सिवाच ने दोनों खिलाड़ियों से टोक्यो ओलम्पिक में तकनीक के साथ बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई है। दोनों ही खिलाडि़यों में देश के लिए शानदार प्रदर्शन करने का जज्बा और जुनून सवार है। दोनों खिलाड़ियों ने ही परिवारिक आर्थिक तंगी के बावजूद करिश्माई प्रदर्शन किया है। कोच सिवाच की माने तो निश्चित रूप से भारतीय टीम में इन दोनों खिलाड़ियों की अहम भूमिका रहने वाली है।

आर्थिक तंगी पर भारी हॉकी का जुनून


निशा वारसी भी एक बेहद गरीब परिवार से आती हैं, लेकिन निशा ने इसे अपनी कमजोरी कभी नहीं बनने दिया। उन्होंने समाज और आर्थिक तंगी जैसी कमजोरियों को कभी अपने आढ़े नहीं आने दिया। वहीं निशा एक ऐसे समाज से आती हैं जहां बेटियों को घर से बाहर ही नहीं, बल्कि हिजाब के बंधनों में रखा जाता है। कोच प्रीतम सिवाच के द्वारा निशा के परिवार को समझाने के लिए उन्होंने काफी जद्दोजहद की। जिसके बाद परिवार तो माना लेकिन निशा को हिजाब में प्रैक्टिस के लिए भेजा जाता था। ऐसी मुश्किलों के बीच कड़ी मेहनत और संघर्ष करने के बाद आज निशा ने ओलंपिक में जगह बनाई।

निशा के पिता सोहराब अहमद सोनीपत में एक साड़ी की दुकान में काम करते थे। जैसे तैसे करके उसमें गुजर बसर होता था जबकि मां भी एक फ्रैक्ट्री में काम करती थी। वहीं निशा के पिता का कहना है कि साल 2016 में उन्हें पैरालाइज अटैक आया था, जिसके बाद परिवार के लिए निशा की जिम्मेदारियां बढ़ गई थी। लेकिन बेटी ने हार नहीं मानी और रेलवे की नौकरी में उसका इलाज भी कराया और मां-बाप के साथ ही तीन भाई-बहनों के परिवार को भी पाला। वहीं निशा के पिता को पूरी उम्मीद है कि उनकी बेटी देश का नाम रोशन करेगी।

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