यूपी के एक कोरोना वॉरियर्स का छलका दर्द, महामारी के बीच अंतिम क्षण भी अपने बेटे को गले तक नहीं लगा पाया
यूपी के एक कोरोना वॉरियर्स का दर्द सामने आया है। कोरोना महामारी के बीच अपने मासूम बेटे के अंतिम क्षणों को देखने के लिए तरसता रह गया।;
उत्तर प्रदेश में संक्रमण के चलते कई लोगों को कोरोना का शिकार होना पड़ा तो कुछ लोगों की जिंदगी हमेशा के लिए सो गई। इस बीच लखनऊ के रहने वाले एक कोरोना वॉरियर्स की बेबसी सामने आई है। कोरोना योद्धा मनीष कुमार लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में तैनात है।
अचानक उनके तीन साल के मासूम बेटे की मौत हो गई। जहां इस महामारी के बीच अंतिम क्षण भी अपने बेटे को जी भर गले भी न लगा पाया। बेटे के अंतिम पल और पिता के बीच कोरोना संक्रमण का दीवार बना पड़ा था। दरअसल शनिवार रात मनीष अपने कोरोना वॉर्ड (Corona Ward) में ड्यूटी पर तैनात थे।
इसी दौरान अचानक घर से फोन आया कि उनके बेटे हर्षित को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। साथ ही पेट में भी काफी दर्द हो रहा है। यह सुनकर वह काफी घबरा गया, लेकिन अपनी ड्यूटी को छोड़ घर भी नहीं जा सकता था।
कोरोना वॉरियर्स ने बयां की अपनी दर्द भरी कहानी
मनीष ने बताया कि अस्पताल के लोग घर जाने के लिए कह रहे थे, लेकिन मुझे डर था कि कोरोना वायरस मेरे किसी परिवार तक न फैल जाएं। इसलिए मैं सहम कर अस्पताल में ही अपने बेटे के ठीक होने का इंतजार करता रहा। मेरे परिवार के लोगों ने बेटे को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनीवर्सिटी (KGMU) ले गए।
बीच-बीच में व्हाट्सएप पर हर्षित की फोटो भेजते रहे। अचानक रात करीब दो बजे घर से फोन आया कि वह हमेशा के लिए लोगों को छोड़कर चला गया। मैं काफी देर से खुद को पत्थर सा बनाया बैठ, अचानक रेत की तरह बिखर गया। घर से बार-बार फोन आने के बाद आखिरकार मैं केजीएमयू पहुंचा।
जहां मुझे अपने बेटे के शव से ही संतुष्टि करना पड़ा। कोरोना महामारी के चलते मरने के बाद भी मैं अपने बेटे को जी भरकर अपने सीने से न लगा सका। जब मेरे परिवार के लोग घर ले जाने के लिये हर्षित को बाहर ला रहे थे, तब मैंने उसे दूर से देखा।
अगले दिन हर्षित का अंतिम संस्कार किया गया। मैं अपने बेटे को छू भी नहीं सकता था, क्योंकि अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोग शामिल थे और मेरे छूने से वायरस फैल सकता था। उन्होंने कहा कि अब उनके पास अपने बेटे की बस यादें ही सिमट कर रह गई हैं।