लोकसभा चुनाव 2019: यूपी में पांचवें चरण की 14 सीटों में 9 पर भाजपा को कड़ी टक्कर, पिछली बार जीती थी 12 सीटें

पिछले लोकसभा चुनाव में सपा बसपा अलग-अलग होकर भाजपा को टक्कर दे रहे थे। लेकिन इस बार एकसाथ होकर मैदान में हैं। दोनो पार्टियों के साथ आने पर बहराइच, मोहनलालगंज, सीतापुर, कैसरगंज, कौशांबी, बांदा, और धौरहरा लोकसभा सीटों पर मुकाबला काफी रोचक हो गया है। महागठबंधन यहां भाजपा के मुकाबले बीस साबित हो रहा है।;

Update: 2019-05-05 10:31 GMT

लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ी हुई है। सियासी दांव पेंच और चुनावी वायदों के साथ सभी पार्टियों के नेता जनादेश को अपने पक्ष में करने के लिए रैलियां और रोड शो कर रहे हैं। सात में से चार चरण के मतदान पूरे हो चुके हैं पांचवा चरण 6 तारीख को है। इस चरण में उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर भी मतदान होने हैं। पिछले बार इनमें से ज्यादातर सीटों पर भाजपा का परचम लहराया था पर इस बार हवा बदली हुई है।

पिछले लोकसभा चुनाव में सपा बसपा अलग-अलग होकर भाजपा को टक्कर दे रहे थे पर इसबार एकसाथ होकर मैदान में हैं। दोनो पार्टियों के साथ आने पर बहराइच, मोहनलालगंज, सीतापुर, कैसरगंज, कौशांबी, बांदा, और धौरहरा लोकसभा सीटों पर मुकाबला काफी रोचक हो गया है। महागठबंधन यहां भाजपा के मुकाबले बीस साबित हो रहा है।

2014 में बहराइच सीट पर भाजपा प्रत्याशी सावित्री बाई फुले ने सपा प्रत्याशी को 95 हजार वोट से हराया था वह इसबार भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस के खेमें से यहां उतर रही हैं। भाजपा ने अक्षयबर लाल को टिकट दिया है। महागठबंधन ने शब्बीर अहमद बाल्मिकी को दोबारा मैदान में उतारा है। पिछले साल सपा व बसपा के वोटों को जोड़ दें तो शब्बीर अहमद आगे दिखाई देते हैं।

मोहनलालगंज की सीट पर पिछली बार बीजेपी के कौशल किशोर ने बसपा के आरके चौधरी करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया था। इसबार कौशल के सामने बसपा के सीएम वर्मा मैदान में हैं। यहां भाजपा और महागठबंधन में सीधा मुकाबला है।

प्रतापगढ़ से सटे कौशांबी की इस आरक्षित सीट पर विनोद सोनकर सांसद हैं उनका मुकाबला सपा के इंद्रजीत सरोज से है। पिछली बार भाजपा ने इस सीट पर 42 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी पिछले बार सपा-बसपा को मिले वोट को मिला दें तो विनोद कुमार सोनकर की वापसी बेहद मुश्किल हो जाएगी।

अमेठी सीट पर कांग्रेस के अध्यक्ष ने लगातार जीत दर्ज की है। पिछली बार स्मृति ईरानी ने मैदान में उतरकर जीत के अन्तर को जरूर कम कर दिया था। इसबार भी भाजपा ने स्मृति को ही प्रत्याशी बनाया है। महागठबंधन ने यहां अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं।

रायबरेली सीट पर इसबार भी कांग्रेस का कब्जा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। सपा बसपा के त्याग के बाद कांग्रेस के ही बागी दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनियां गांधा के सामने टक्कर देने के लिए हैं। स्थानिय लोगो की माने तो सोनिया गांधी के अलावा यहां कोई दूर दूर नजर नहीं आता।

सीतापुर, बांदा, कैसरगंज और धौरहरा सीट पर भी महागठबंधन सीधे तौर पर भाजपा को चुनौती देता दिख रहा है। बसपा और सपा के बड़े नेताओं ने इसबार हर सीट पर फोकस करते हुए प्रचार किया है।

लखनऊ, गोंडा, फैजाबाद और फतेहपुर लोकसभा सीट पर इसबार भी भाजपा मजबूत दिखाई दे रही है। 

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