सीएए के खिलाफ धरने पर बैठे लोगों को पुलिस ने दी ये चेतावनी, जानें क्या होती है रासुका

डीआईजी ने कहा है कि अगर 80 लोगों को नोटिस जारी करने के बाद भी धरना प्रदर्शन खत्म नहीं होता है, तो पुलिस उन सभी पर रासुका के तहत मुकदमा दायर करेगी।;

Update: 2020-02-08 10:42 GMT

कानपूर शहर के कुछ हिस्सों में महीनों से सीएए के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। पुलिस अधिकारी अब इन प्रदर्शनों के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाना चाहते हैं। इसी क्रम में कानपुर पुलिस ने कहा है कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में अगर धरने का चेहरा बने तो सीधे देशद्रोह का मुकदमा दायर किया जाएगा।

महिलाओं को सीएए की कोई जानकारी नहीं

डीआईजी अनंतदेव के अनुसार धरने में बैठी महिलाओं में से बस 5 या 6 को ही सीएए कानून के बारे आधी जानकारी है। यही कुछ महिलाएं बाकी सारी महिलाओं को उकसाती है और उनके दिमाग में गलत जानकारियां भरती हैं। बताया जा रहा है कि धरने पर बैठी ज्यादातर महिलाएं ग्वालटोली और कर्नलगंज की हैं। डीआईजी ने बताया कि धरना समाप्त का आग्रह लेकर गई सीओ ने जब उल महिलाओं से सीएए और एनआरसी के बारे में पूछा तो सारी महिलाएं चुप हो गई।

क्या कहा पुलिस ने

डीआईजी ने कहा है कि अगर 80 लोगों को नोटिस जारी करने के बाद भी अगर धरना प्रदर्शन खत्म नहीं होता है तो पुलिस उन सभी पर देशद्रोह का मुकदमा दायर करेगी। उन्होंने कहा कि मोहम्मद अली पार्क और फूल पार्क में बाहर से लोग आ आकर धरने को भड़काते हैं जिससे हिंसा जैसा माहौल उत्पन्न हो जाता है। बताया जा रहा है कि धरना प्रदर्शन की आड़ में देशद्रोही नारे लगाने के कारण इन लोगों पर रासुका के तहत मुकदमा दायर किया जाएगा।

क्या है रासुका

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) 23 दिसंबर 1980 को इंदिरा गांधी सरकार के दौरान लाया गया था जिसके अन्तर्गत केन्द्र और राज्य सरकार में किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है। इस कानून के अनुसार किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना आरोप के भी 12 महीनों तक जेल में रखने का प्रावधान है।

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