आखिर क्यूं बेनिया बाग बना प्रदर्शनकारियों का धरना स्थल, एक दर्जन महिलाओं पर केस दर्ज
वाराणसी के बेनिया बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। पुलिस ने लगभग एक दर्जन प्रदर्शनकारी महिलाओं और आधा दर्जन पुरूष प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है।;
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआईए) के खिलाफ उठ रही आवाज थमने का नाम नहीं ले रही है। हर रोज प्रदर्शन और धरने की कोई न कोई खबर आ ही जाती है। दिल्ली के शाहीन बाग के बाद वाराणसी में भी गुरुवार से प्रदर्शन शुरू हो गया।
पुलिस ने जब महिला प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया तो इसके विरोध में वहां के स्थानीय लोगों ने पुलिस के उपर पत्थरबाजी की भी कोशिश की। महिला प्रदर्शनकारियों ने धरने की शुरुआत शांतिपूर्ण ढ़ंग से की थी और वो मोदी सरकार से सीएए और एनआईए को वापस लेने की मांग कर रहीं थी। लेकिन जैसे ही पुलिसकर्मियों को इस प्रदर्शन की खबर मिली, वो वहां पहुंचकर प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने लगी और देखते ही देखते बेनिया बाग छावनी में बदल गई।
कैसे भाग गई प्रदर्शनकारी महिलाएं
पुलिस ने लगभग एक दर्जन प्रदर्शनकारी महिलाओं और आधा दर्जन पुरुष प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन स्थानीय लोगों ने पथराव करना शुरु कर दिया और मौके का फायदा उठाकर सभी गिरफ्तार महिलाएं भागने में कामयाब रहीं। वैसे पुलिस ने एक दर्जन पुरुष प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके पुलिस स्टेशन भेज दिया है और उन पर कार्रवाई करने की बात भी कही है। पुलिस इस प्रदर्शन में राजनीतिक दलों की भूमिका पर भी नजर डालेगी।
शाहीन बाग में चल रहा है प्रदर्शन
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ उत्तरप्रदेश के कई जगहों पर प्रदर्शन अभी तक चल रहा है। उन्हीं में से एक है शाहीन बाग। शाहीन बाग में पिछले महीने शुरु हुआ ये प्रदर्शन आज भी जारी है। ये प्रदर्शन 38 दिनों पहले शुरु हुआ था। कहा जा रहा है कि बेनिया बाग का ये प्रदर्शन शाहीन बाग की तर्ज पर ही शुरु किया गया है।
1200 प्रदर्शनकारियों पर केस
प्रदर्शकारियों पर योगी सरकार ने अपना एक्शन शुरु कर दिया है। अब तक 1200 प्रदर्शनकारियों पर धारा 144 के उल्लंघन का केस दर्ज किया जा चुका है। योगी सरकार ने अलीगढ़ में 60 महिलाओं पर, प्रयागराज में 300 महिलाओं पर, इटावा में 200 महिलाओं और 700 पुरुषों पर केस दर्ज किया है। लेकिन विरोध की हवा कुछ ऐसी है कि इन्हें किसी का डर नहीं है। ये प्रदर्शनकारी तब भी लखनऊ के घंटाघर से लेकर प्रयागराज के मंसूर अली पार्क में प्रदर्शन कर ही रहे हैं।